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लेश्या-कोश
अमे संपादक ने तेमना आ विराट कार्य माटे अभिनन्दन आपतां, तेमनु कार्य जल्दी सफलता साथै पूर्ण थाओ, ओवी इच्छा साथे वीरमीओ छीओ |
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विद्वनों की सम्मति
(१) प्रज्ञाचक्ष पं० सुखलालजी संघवी, अहमदाबाद
लेश्या कोश के प्रारम्भिक ३४ पृष्ठों को पूरा सुन गया हूँ । अगला भाग अपेक्षा के अनुसार ही देखा है, पर उसका पूरा ख्याल आ गया है । प्रथम तो यह बात है कि एक व्यापारी फिर भी अस्वस्थ्य तबीयतवाला इतना गहरा श्रम करे और शास्त्रीय विषयों में पूरी समझ के साथ प्रवेश करे यह जैन समाज के लिये आश्चर्य के साथ खुशी का विषय है । आपने कोशों की कल्पना को मूर्त ATT का जो संकल्प किया है वह और भी आश्चर्य तथा आनन्द का विषय है । इतना बड़ा भारी अबाब देही का काम निर्विघ्न पूरा हो— यही कामना है ।
(२) आचर्य श्री महाराज विजय उदय रत्नसूरि; साबरमति
आपका श्रम यथार्थ है । लेश्या कोष ज्ञान की अमूल्य निधि है । पुस्तक को देख कर हमारी आत्मा को अनहद आनन्द हुआ |
(३) डा० ज्योतिप्रसाद जैन, लखनऊ
इस अपूर्व कृति के सफल कृतित्व के लिये मेरी हार्दिक बधाई स्वीकार करें |
(४) डा० जगदीशचन्द्र जैन - बम्बई
लेश्या कोश प्राप्त हुआ । सरसरी तौर पर देखने से ज्ञात हुआ कि बड़े परिश्रम से आपने इस ग्रन्थ को तैयार किया है । मेरी ओर से कृपया साधुवाद स्वीकार करें ।
(५) श्री माखनलाल शास्त्री-मुरैना
पुस्तक के कतिपय प्रकरण अभी मैंने देखे हैं । पूरी पुस्तक धीरे-धीरे देखूंगा । मुझे यह लिखते हुए अत्यन्त प्रसन्नता होती है कि इसके संकलन में जो परिश्रम एवं खोज को गई है और अनेक शास्त्रों का मनन किया गया है वह स्तुत्य कार्य है । पुस्तक अत्युपयोगी है ।
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