________________
४७०
*६६ २६ पर्यायवाची शब्द
१ -- लेश्या
२- परिभाषा
(१) गोम्मटसार जीव कांड ( ४८८ ) सं० छाया लिपत्यात्मीकरोति एतया निजपुण्यपुण्यंच | जीव इति भवति लेश्या लेश्यागुणज्ञाय काख्याता ॥ जिसके द्वारा जीव अपने पाप और पुण्य से लिप्त करें उसको लेश्या कहते हैं ।
लेश्या-कोश
(२) गोम्मटसार जीव कांड ( ४८६ ) सं० छाया योगप्रवृत्तिर्लेश्या कषायोदयानुरंजिता भवति । कषायोदय से अनुरंजित योग की प्रवृत्ति को लेश्या कहते हैं ।
(३) लोकप्रकाश । २८४
कृष्णादि द्रव्य साचिव्यात्परिणामो य आत्मनः । ( स्फटिकस्यैव ) तत्रायं लेश्या शब्द प्रवर्तते ॥
कृष्ण वा अन्य वर्ण के कर्म आदि पुद्गलों के संयोग से आत्मा का जो परिणाम होता है वहाँ लेश्या शब्द का प्रयोग होता है ।
(४) लोकप्रकाश । २८५
द्रव्याण्येतानियोगान्तर्गतानीति विचिन्त्यताम् ।
लेश्यानामन्वयव्यतिरेकतः ॥
सयोगत्वेन
अर्थात् 'अन्वय' तथा व्यतिरेक से लेश्या के सयोगत्व की अपेक्षा ( लेश्या ) के द्रव्यों को योग के अन्तर्गत समझो ।
(५) प्रज्ञापना - लेश्या पद टीका
लिश्यते आत्मा कर्मणा सह अनया ( सा लेश्या ) ।
जिससे आत्मा कर्म के साथ लेप होती है वह लेश्या है ।
(६) कृष्णादिद्रव्यसाचिव्यात् परिणामो य आत्मनः । तत्रायं लेश्या शब्दः
प्रवर्तते ॥
स्फटिकस्येव
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org