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________________ लेश्या - कोश ३८३ सबसे कम कृष्णलेशी नारकी, उनसे असंख्यातगुणा नीललेशी नारकी, उनसे असंख्यातगुणा कापोतलेशी नारकी हैं । ६१३ तिर्यंचयोनि के जीवों में एएसि णं भंते! तिरिक्खजोणियाणं कण्हलेसाणं जाव सुक्कलेसाण य कयरे कयरेर्हितो अप्पा वा ४ ? गोयमा ! सव्वत्थोवा तिरिक्खजोणिया सुक्कलेसा, एवं जहा ओहिया, नवरं अलेसवज्जा । - पण्ण० प १७ । २ । सु १५ । पृ० ४३८ सबसे कम शुक्ललेशी तिर्यंचयोनिक जीव हैं अवशेष ( अलेशी को बाद देकर ) औधिक जीव की तरह जानना चाहिए । १४ एकेन्द्रिय जीवों में एएसि णं भंते! एगिंदियाणं कण्हलेस्साणं नीललेस्साणं काऊलेस्साणं तेऊलेस्साण य कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा जाव विसेसाहिया ? गोयमा ! सव्वत्थोवा एगिंदिया तेऊलेस्सा, काऊलेस्सा अनंतगुणा, नीलस्सा विसेसाहिया, कण्हलेस्सा विसेसाहिया । - पण ० प १७ । उ२ । सू १५ । पृ० ४३८ - भग० श १७ । उ १२ । सू ३ । पृ० ७६१ सबसे कम एकेन्द्रिय तेजोलेशी जीव हैं, उनसे कापोतलेशी एकेन्द्रिय जीव अनन्तगुणा हैं, उनसे नीललेशी एकेन्द्रिय जीव विशेषाधिक हैं, उनसे कृष्णलेशी एकेन्द्रिय जीव विशेषाधिक हैं । * १५ पृथ्वीकायिक जीवों में एएसि णं भंते! पुढविकाइयाणं कण्हलेस्साणं जाव तेऊलेस्साण य करे करेहिंतो अप्पा वा ४ ? गोयमा ! जहा ओहिया एगिंदिया, 'नवरं काऊलेस्सा असंखेज्जगुणा । - पण ० प १७ । उ २ । सू १५ । पृ० ४३८-६ नबसे कम तेजोलेशी पृथ्वीकायिक जीव हैं, उनसे कापोतलेशी पृथ्वी कायिक जीव असंख्यातगुणा, उनसे नीललेशी विशेषाधिक, उनसे कृष्णलेशी विशेषाधिक हैं । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016038
Book TitleLeshya kosha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year2001
Total Pages740
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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