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लेश्या-कोश
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'८३ सलेशी जीव और समवसरण८३.१ सलेशी जीव और मतवाद ( दर्शन )
सलेस्सा णं भंते ! जीवा किं किरियावाई० पुच्छा ? गोयमा ! किरियावाई वि, अकिरियावाई वि, अन्नाणियवाई वि, बेणइयवाई वि । एवं जाव सुक्कलेस्सा ।
अलेम्सा णं भंते ! जीबा० पुच्छा ? गोयमा ! किरियावाई । नो अकिरियागई, नो अन्नाणियवाई, नो वेणइयवाई। ___सलेस्सा णं भंते ! नेरइया कि किरियावाई ? एवं चेव । एवं जाव काऊलेस्सा। x x x नवरं जं अत्थि तं भाणियव्वं सेसं न भन्नति । जहा नेरइया एवं जाव णिय कुमारा। पुढविकाइया णं भते ! किं किरियावाई० पुच्छा ? गोयमा! नो किरियावाई, अकिरियावाई वि, अन्नाणियवाई वि, नो वेणइयवाई। एवं पुढविकाइयाणं जं अत्थि तत्थ सव्वत्थ वि एयाई दो मज्झील्लाइ समोसरणाइ जाव अणागारोवउत्ता वि। एवं जाव चउरिंदिया । सव्वट्ठाणेसु एयाई चेव मज्झिल्लगाइ दो समोसरणाई xxx पचिंदियतिरिक्खजोणिया जहा जीवा। नवरं जं अत्थि तं भाणियव्वं । मणुस्सा जहा जीवा तहेव निरवसेसं । वाणमंतर-जोइसियवेमाणिया जहा असुरकुमारा।
-भग. श ३० । उ १ । सू ३, ४, ८, ६ । पृ० ६०५-६०६ दर्शन की अपेक्षा से जीव, समास में, चार मतवादों में विभक्त हैं, यथाक्रियावादी, अक्रियावादी, अज्ञानवादी तथा विनयवादी । इन मतवादों के सम्बन्ध में विशेष जानकारी हेतु आया० श्रु १ । अ १ । उ १ । सू ३ की टीका देखें।
सलेशी जीव क्रियावादी भी, अक्रियावादी भी, अज्ञानवादी भी तथा विनयवादी भी होते हैं। कृष्णलेशी यावत् शुक्ललेशी जीव चारों मतवादवाले होते हैं । अलेशी जीव केवल क्रियावादी होते हैं।
सलेशी नारकी भी चारों मतवादवाले होते हैं। कृष्णलेशी, नीललेशी तथा कापोतलेशी नारकी भी चारों मतवादवाले होते हैं। सलेशी असुरकुमार यावत् स्तनितकुमार चारों मतवादवाले होते हैं ।
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