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लेश्या-कोश
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xxx उदहिकुमाराणं x x x एवं चेव । एवं दिसाकुमारा वि । एवं थणियकुमारा वि ।
-भग० श १६ । उ ११-१४ । पृ० ७३७
एएसि णं भंते ! एगिदियाणं कण्हलेस्साणं इड्ढि० जहेव दीबकुमाराणं । नागकुमारा णं भंते ! सव्वे समाहारा० ? जहा सोलसमसए दीवकुमारुदेसए तहेव निरवसेसं भाणियव्वं जाव इड्ढी ।
सुवप्णकुमारा णं भंते ! x x x एवं चेव । विज्जुकुमारा गं भंते ! xxx एवं चेव । वाउकुमारा णं भंते ! x x x एवं चेव । अग्गिकुमारा णं भंते ! x x x एवं चेव ।
-भग० श १७ । उ १२-१७ । पृ० ७६१
कृष्णलेशी जीव से नीललेशी जीव महाऋद्धिवाला होता है, नीललेशी जीव से कापोतलेशी जीव महाऋद्धिवाला होता है। कापोतलेशी जीव से तेजोलेशी जीव महाऋद्धिवाला, तेजोलेशी जीव से पद्मलेशी जीव महाऋद्धिवाला तथा पद्मलेशी जीव से शुक्ललेशी जीव महाऋद्धिवाला होता है। सबसे अल्पऋद्धि वाला कृष्णलेशी जीव तथा सबसे महाऋद्धिवाला शुक्ललेशी जीव होता है।
कृष्णलेशी नारकी से नीललेशी नारकी महाऋद्धिवाला तथा नीललेशी नारकी से कापोतलेशी नारकी महाऋद्धिवाला होता है। कृष्णलेशी नारकी सबसे अल्पऋद्धिवाला तथा कापोतलेशी नारकी सबसे महाऋद्धिवाला होता है।
कृष्णलेशी यावत् शुक्ललेशी तियंचयोनिक जीवों में अल्पऋद्धि तथा महाऋद्धि के सम्बन्ध में वैसा ही कहना चाहिए जैसा औधिक जीवों के सम्बन्ध में कहा गया है।
कुष्णलेशी एकेन्द्रिय तियंचयोनिक जीव से नीललेशी एकेन्द्रिय तियंचयोनिक जीव महाऋद्धिवाला, नीललेशी एकेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक जीव से कापोतलेशी एकेन्द्रिय तियंचयोनिक जीव महाऋद्धिवाला तथा कापोतलेशी एकेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक जीव से तेजोलेशी एकेन्द्रिय तियंचयोनिक जीव महाऋद्धिवाला होता है। कृष्णलेशी एकेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक जीव सबसे अल्पऋद्धिवाला तथा तेजोलेशी एकेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक जीव सबसे महाऋद्धिवाला होता है।
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