________________
लेश्या-कोश
२३३ गमक-१-६ पर्याप्त संख्यात वर्ष की आयुवाले संज्ञी मनुष्य योनि से ने वेयक देवों में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं (गेवेज्जगदेवा णं भंते ! xxx एस चेव वत्तव्वया x x x ) उनमें नौ गमकों में ही छः लेश्याएं होती हैं।
-भग० श २४ । उ २४ । सू २१ । पृ० ८५१ '५८ ३५ विजय, वैजयंत, जयंत तथा अपराजित देवों में उत्पन्न होने योग्य
जीवों में.५८ ३५.१ पर्याप्त संख्यात वर्ष की आयुवाले संज्ञी मनुष्य योनि से विजय,
___ वैजयंत, जयंत तथा अपराजित देवों में उत्पन्न होने योग्य जीवों मेंगमक-१-६ पर्याप्त संख्यात वर्ष की आयुवाले संज्ञी मनुष्य योनि से विजय, वैजयंत, जयंत तथा अपराजित देवों में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं (विजय-वेजयंत-जयंत-अपराजियदेवा णं भंते ! x x x एस चेव वत्तव्वया निरवसेसा, जाव-'अणुबंधो'त्ति । x x x एवं सेसा वि अट्ठ गमगा भाणियव्वा x x x मणूसे लद्धी णवसु वि गमएसु जहा गेवेज्जगेसु उववज्जमाणस्स x x x ) उनमें नौ गमकों में ही छः लेश्याएं होती हैं । ( ५८ ३४१)
-भग० श २४ । उ २४ । सू २२ । पृ० ८५१ .५८ ३६ सर्वार्थसिद्ध देवों में उत्पन्न होने योग्य जीवों में.५८ ३६.१ पर्याप्त संख्यात वर्ष की आयुवाले संज्ञी मनुष्य योनि से सर्वार्थसिद्ध
देवों में उत्पन्न होने योग्य जीवों मेंगमक-१, ४, ७ पर्याप्त संख्यात वर्ष की आयुवाले संज्ञी मनुष्य योनि से सर्वार्थसिद्ध देवों में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं ( सव्वट्ठसिद्धगदेवा ) (से णं भंते ! x x x अवसेसा जहा विजयाईसु उववज्जताणं x x x - प्र २३-२४ । ग०१। सो चेव अप्पणा जहन्नकालट्ठिईओ जाओ एस वत्तव्वया xxx सेसं तहेव xxx-२५ । ग०४ । सो चेव अप्पणा उक्कोसकालट्ठिईओ जाओ, एस चेव वत्तव्वया xxx सेसं तहेव, जाव-'भवाएसो'त्ति । xxx -प्र २६ । ग०७ । एए तिनि गमगा सव्वट्ठसिद्धगदेवाणं xxx ) उनमें तीनों गमकों में ही छः लेश्याएं होती
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org