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लेश्या - कोश
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वि गमा भाणियव्वा ) उनमें नौ गमकों में ही छः लेश्याएं होती हैं ।
( देखो पाठ ५८ २२ )
- भग० श २४ । उ २४ । सु १७ । पृ० ८५०
*५८ २५ माहेन्द्र देवों में उत्पन्न होने योग्य जीवों में
*५८·२५*१ पर्याप्त संख्यात वर्ष की आयुवाले संज्ञी पंचेन्द्रिय तिर्यच योनि से माहेन्द्र देवों में उत्पन्न होने योग्य जीवों में
गमक - १-६ पर्याप्त संख्यात वर्ष की आयुवाले संज्ञी पंचेन्द्रिय तिर्यच योनि से माहेन्द्र देवों में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं ( माहिंदगदेवा णं भंते ! x x x जहा सणकुमारगदेवाणं वक्तव्वया तहा माहिंदगदेवाणं भाणियव्वा ) उनमें प्रथम के तीन गमकों में छः लेश्याए, मध्यम के तीन गमकों में पाँच लेश्याएं तथा शेष के तीन गमकों में छः लेश्याएं होती हैं । ( देखो पाठ ५८ २४°१ )
- भग० श २४ । उ २४ । सु १८ । पृ० ८५० *५८ २५-२ पर्याप्त संख्यात वर्ष की आयुवाले संज्ञी मनुष्य योनि से माहेन्द्र देवों में उत्पन्न होने योग्य जीवों में
गमक- - १-६ पर्याप्त संख्यात वर्ष की आयुवाले संज्ञी मनुष्य योनि से माहेन्द्र देवों में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं ( देखो पाठ ५८ २५१ ) उनमें नौ गमकों में ही छः लेश्याएं होती हैं । ( देखो पाठ ५८ २४२ )
- भग० श २४ । उ २४ । सू १८ । पृ० ८५०
*५८२६ ब्रह्मलोक देवों उत्पन्न होने योग्य जीवों में-
*५८*२६*१ पर्याप्त संख्यात वर्ष की आयुवाले संज्ञी पंचेन्द्रिय तिर्यच से ब्रह्मलोक देवों में उत्पन्न होने योग्य जीवों में—
गमक - १ - ९ पर्याप्त संख्यात वर्ष की आयुवाले संज्ञी पंचेन्द्रिय तिर्यच योनि से ब्रह्मलोक देवों में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं ( एवं बंभलोगदेवाण वि वत्तव्वया ) उनमें प्रथम के तीन गमकों में छः लेश्याएँ, मध्यम के तीन गमकों में पाँच लेश्याएं तथा शेष के तीन गमकों में छः लेश्याएं होती हैं ।
( देखो पाठ ५८ २४·१ )
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- भग० श २४ । उ २४ । १८ । पृ० ८५०
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