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________________ लेश्या - कोश २२९ वि गमा भाणियव्वा ) उनमें नौ गमकों में ही छः लेश्याएं होती हैं । ( देखो पाठ ५८ २२ ) - भग० श २४ । उ २४ । सु १७ । पृ० ८५० *५८ २५ माहेन्द्र देवों में उत्पन्न होने योग्य जीवों में *५८·२५*१ पर्याप्त संख्यात वर्ष की आयुवाले संज्ञी पंचेन्द्रिय तिर्यच योनि से माहेन्द्र देवों में उत्पन्न होने योग्य जीवों में गमक - १-६ पर्याप्त संख्यात वर्ष की आयुवाले संज्ञी पंचेन्द्रिय तिर्यच योनि से माहेन्द्र देवों में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं ( माहिंदगदेवा णं भंते ! x x x जहा सणकुमारगदेवाणं वक्तव्वया तहा माहिंदगदेवाणं भाणियव्वा ) उनमें प्रथम के तीन गमकों में छः लेश्याए, मध्यम के तीन गमकों में पाँच लेश्याएं तथा शेष के तीन गमकों में छः लेश्याएं होती हैं । ( देखो पाठ ५८ २४°१ ) - भग० श २४ । उ २४ । सु १८ । पृ० ८५० *५८ २५-२ पर्याप्त संख्यात वर्ष की आयुवाले संज्ञी मनुष्य योनि से माहेन्द्र देवों में उत्पन्न होने योग्य जीवों में गमक- - १-६ पर्याप्त संख्यात वर्ष की आयुवाले संज्ञी मनुष्य योनि से माहेन्द्र देवों में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं ( देखो पाठ ५८ २५१ ) उनमें नौ गमकों में ही छः लेश्याएं होती हैं । ( देखो पाठ ५८ २४२ ) - भग० श २४ । उ २४ । सू १८ । पृ० ८५० *५८२६ ब्रह्मलोक देवों उत्पन्न होने योग्य जीवों में- *५८*२६*१ पर्याप्त संख्यात वर्ष की आयुवाले संज्ञी पंचेन्द्रिय तिर्यच से ब्रह्मलोक देवों में उत्पन्न होने योग्य जीवों में— गमक - १ - ९ पर्याप्त संख्यात वर्ष की आयुवाले संज्ञी पंचेन्द्रिय तिर्यच योनि से ब्रह्मलोक देवों में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं ( एवं बंभलोगदेवाण वि वत्तव्वया ) उनमें प्रथम के तीन गमकों में छः लेश्याएँ, मध्यम के तीन गमकों में पाँच लेश्याएं तथा शेष के तीन गमकों में छः लेश्याएं होती हैं । ( देखो पाठ ५८ २४·१ ) Jain Education International - भग० श २४ । उ २४ । १८ । पृ० ८५० For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016038
Book TitleLeshya kosha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year2001
Total Pages740
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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