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________________ लेश्या-कोश २०९ जहा एयस्स चेव सन्निस्स रयणप्पभाए उववज्जमाणम्स पढमगमए x x x सेसं तं चेव जाव-भवाएसो'त्ति xxx-प्र २५-२६ । ग० १ । सो चेव जहन्नकालट्ठिईएसु उववन्नो, एस चेव वत्तव्वया xxx -प्र २७ । ग० २ । सो चेव उक्कोसकालट्ठिईएसु उववन्नो x x x एस चेव वत्तव्वया x x x -प्र २८ । ग० ३ । सो चेव जहन्नकालट्टिईओ जाओ xxx । लद्धी से जहा एयस्स चेव सन्निपंचिंदियम्स पुढविकाइएसु उववज्जमाणस मज्झिल्लएसु तिसु गमएसु सच्चेव इह वि मज्झिमेसु तिसु गमएसु कायवा x x x-प्र २६ । ग० ४-६ । सो चेव अप्पणा उक्कोसकालहिईओ जाओ जहा पढमगमए x x x-प्र ३० । ग०७ । सो चेव जहन्नकालाहिईएसु उववन्नो, एस चेव वत्तव्वया x x x -प्र ३१ । ग०८। सो चेव उक्कोसकालट्ठिईएसु उववन्नो x x x अवसेसं तं चेव x x x -प्र ३२ । ग०६) उनमें प्रथम के तीन गमकों में छ: लेश्या, मध्यम के तीन गमकों में तीन लेश्या तथा शेष के तीन गमकों में छः लेश्या होती है। ( ग० १, २, ३, ७, ८, ६ के लिए देखो .५८ १.२, ग० ४, ५, ६ के लिए देखो '५८.१०.१० ) --भग० श २४ । उ २० । सू २५-३२ । पृ० ८४१-४२ .५८ १८.१८ असंज्ञी मनुष्य योनि से पंचेन्द्रिय तिर्यच-योनि में उत्पन्न होने योग्य जीवों में गमक-१-६ असंज्ञी मनुष्य योनि से पंचेन्द्रिय तिर्य च-योनि में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं (असनिमणुस्से णं भंते ! जे भविए पंचिंदियतिरिक्खजोणिएमु उववज्जित्तए xxx लद्धी से तिसु वि गमए सु जहेव पुढविक्क्काइएसु उववज्जमाणस्स x x x ) उनमें प्रथम के तीन गमक ही होते हैं तथा इन तीनों गंमकों में ही प्रथम तीन लेश्या होती है। ( देखो .५८ १० ११) -भग० श २४ । उ २० । सू ३४ । पृ० ८४२ .५८ १८.१६ संख्यात वर्ष की आयुवाले संज्ञी मनुष्य योनि से पंचेन्द्रिय तिर्य च योनि में उत्पन्न होने योग्य जीवों में Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016038
Book TitleLeshya kosha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year2001
Total Pages740
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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