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________________ १८७ संखेज्जवासाउयसन्निपंचिदियतिरिक्ख जोणिए णं भंते! जे भविए सक्करप्पभाए पुढवीए नेरइएस उववज्जित्तए x x x ते णं भंते ! जीवा० x x x एवं जहेव रयणप्पभाए उववज्जंतग ( मग ) म्स लद्धी सच्चैव निरवसेसा भाणियव्वा - जाव 'भवाएसी' त्ति । x x x एवं रयणप्पभपुढविगमसरिसा णव वि गमगा भाणियब्वा x x x एवं जाव - 'छङपुढवि' ति० ) उनमें प्रथम के तीन गमकों छः लेश्या, मध्यम के तीन गमकों में आदि की तीन लेश्या तथा शेष के तीन गमकों में छः लेश्या होती हैं । ( '५८·१·२ ) । लेश्या कोश - भग० श २४ । उ १ । सू ७४, ७५ । पृ० ८२१ *५८'३२ पर्याप्त संख्यात वर्ष की आयुवाले संज्ञी मनुष्य से बालुकाप्रभापृथ्वी के नारकी में उत्पन्न होने योग्य जीवों में गमक- १-६ पर्याप्त संख्यात वर्ष की आयुवाले संज्ञी मनुष्य से पृथ्वी के नारकी में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं ( पज्जत्तसंखेज्जवासाज्यसन्निमस्से णं भंते! जे भविए सक्करप्पभाए पुढवीए नेरइएस जाव०उववज्जिन्तए × × × ते णं भंते !० सो चेव रयणप्पभपुट विगमओ यव्वो x x x सेसं तं चेव, जाव - 'भवाएसो ' त्ति । x x x एवं एसा ओहिएसु तिसु गमएस मणूसस्स लद्धी । ××× । - ग० १-३ । सो चेव अपणा जहन्नकालट्ठिईओ जाओ, तस्स वि तिसुवि गमएसु एस चेव लद्धी x x x सेसं जहा ओहियाणं । XXX ग०४-६ । सो चेव अप्पणा उक्कोसका लट्ठिईओ जाओ । तस्स वितिसु वि गमएस xxx सेसं जहा पढमगमए । × × × ग० ७-६ । एवं जाव - छपुढवी ) उनमें नव ही गमकों में छः लेश्या होती है । - भग० श २४ । उ १ । सु १०१-१०४ पृ० ८२४ ५८४ पंकप्रभा पृथ्वी के नारकी में उत्पन्न होने योग्य जीवों में Jain Education International - ·५८·४·१ पर्याप्त संख्यात वर्ष की आयुवाले संज्ञी पंचेन्द्रिय तिर्यच योनि से पंकप्रभापृथ्वी के नारकी में उत्पन्न होने योग्य जीवों में— बालुकाप्रभा गमक - १-६ पर्याप्त संख्यात वर्ष की आयुवाले संज्ञी पंचेन्द्रिय तिर्यच योनि से पंकप्रभा पृथ्वी के नारकी में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं ( देखो पाठ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016038
Book TitleLeshya kosha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year2001
Total Pages740
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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