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लेश्या-कोश वैमानिक देवी में एक तेजो लेश्या होती है। '२५.३ वैमानिक देव के विभिन्न भेदों में
(क) सौधर्म-ईशान देव में
(१) सोहम्मीसाणदेवाणं कइ लेस्साओ पन्नत्ताउो ? गोयमा ! एगा तेउलेस्सा पन्नत्ता।
-जीवा० प्रति ३ । सू २१५ । पृ० २३६ (२) दोसु कप्पेसु देवा तेऊलेस्सा पन्नत्ता, तं जहा-सोहम्मे चेव ईसाणे चेव ।
-ठाण० स्था २ । उ ४ । सू ४४५ । पृ० ५३६ सौधर्म तथा ईशान देवलोक के देव में एक तेजो लेश्या होती है। (ख) सनत्कुमार-माहेन्द्र-ब्रह्म में सणंकुमारमाहिंदेसु एगा पम्हलेस्सा, एवं बम्हलोगेवि पम्हा।
-जीवा० प्रति ३ । सू २१५ । पृ० २३६ सनत्कुमार-माहेन्द्र-ब्रह्म देव में एक पद्स लेश्या होती है। (ग) ब्रह्मलोक के बाद के देव में ( लांतक से नव नं वेयक देव में )। सेसेसु एगा सुक्कलेस्सा।
-जीवा० प्रति ३ । सू २१५ । पृ० २३६ लांतक से नव में वेयक देव में एक शुक्ल लेश्या होती है। (घ) अनुत्तरोपपातिक देव में अणुत्तरोववाइयाणं एगा परमसुक्कलेस्सा।
-जीवा० प्रति ३ । सू २१५ । पृ० २३६ अनुत्तरोपपातिक देव में एक परम शुक्ल लेश्या होती है। २६ औधिक पंचेन्द्रिय में (पंचिंदिया ) छल्लेस्साओ।
--भग० श २० । उ १ । सू४ । पृ० ८०६
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