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लेश्या-कोश
१४९ वेंगन, अल्लइ, (सल्लई) पोंडइ, [ थुडकी, कच्छुरी, जासुमणा; रूपी आढकी; नीली, तुलसी, मातुलिंगी, कस्तू भरी, पिप्पलिका, अलसी, वल्ली, काकमाची, वुच्चु, पटोल, कंदली, विउवा, वत्थुल, बदर, पत्तउर, सियउर, जवसय, निगुडी, कस्तुवरि, अत्थई, तलउडा, शण, पाण, कासमर्द, अग्घाडग, श्यामा, सिन्दुवार, करमर्द, अद्दरूसग, करीर, ऐरावण, महित्थ, जाउलग, भालग, परिली, गजभारिणी, कुव्वकारिया, भंडी, जीवन्ती, केतको 1 गंज, पाटला, वासी, अल्कोल—इनके मूल यावत् बीज में तीन लेश्या तथा २६ विकल्प होते हैं। १५.२२ सिरियक आदि वनस्पतिकाय में
अह भंते ! सिरियकाणवमालियकोरेंटगबंधुजीवगमणोज्जा जहा पण्णवणाए पढमपए गाहाणुसारेणं जाव नलणीय कुंदमहाजाईणं एएसि णं जे जीवा मूलत्ताए वक्कमंति ? एवं एत्थ वि मूलादीया दस उद्देसगा निरवसेसं जहा सालीणं ।
---भग० श २२ । व ५ । पृ० ८४२ सिरियक, नवमालिका, कोरंटक, बन्धुजीवक, मणोज्जा, (पिइय, पाण, कणेर, कुज्जय, सिंदुवार, जाती, मोगरो, यूथिका, मल्लिका, वासन्ती, वत्थुल, कत्थुल, सेवाल, नन्थी, मृगदन्तिका, चम्पक, जाति) नवणीइया, कुद, महाजाति–इनके मूल यावत् पत्र में तीन लेश्या तथा २६ विकल्प होते हैं। पुष्प, फल, बीज में चार लेश्या तथा अस्सी विकल्प होते हैं । १५.२३ पूसफलिका आदि वनस्पतिकाय में
अह भंते ! पूसफलिकालिंगीतुबीतउसीएलावालुकी एवं पयाणि छिदियव्वाणि पण्णवणा गाहाणुसारेणं जहा तालवग्गे जाव दधिफोल्लइकाकलिमोक्कलिअकबोंदीणं एएसिणं जे जीवा मूलत्ताए वकमंति एवं एत्थ वि मूलादीया दस उद्देसगा कायव्वा जहा तालवग्गो, णवरं फलउद्देसे ओगाहणाए जहण्णेणं अंगुलस्स असंखेजइभागं उक्कोसेणं धणुपुहुत्तं, ठिई सव्वत्थ जहण्णेणं अन्तोमुहुत्तं उक्कोसेणं वासपुहुत्तं सेसं तं चेव ।
---भग० श २२ । व ६ । पृ० ८४२ पूसफलिका, कालिंगी, तुंबडी, पुषी, एलवालु की, ( घोषातकी, पण्डोला, पंचागुलिका नीली, कण्डूइया, कठुइया, कंकोडी, कारेली, सुभगा, कुयधाय,
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