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लेश्या-कोश
(ख) हिंगुलधाउसंकासा तरुणाइच्चसन्निभा | सुयतुंड पई व निभा, तेऊलेसा उ वण्णओ ॥
- उत्त० अ ३४ । गा ७ पृ० ३०५
(ग) तेऊलेस्सा लोहिएणं वन्नेणं साहिज्जइ ।
- पण ० प १७ । उ ४ । सू १२३२ | पृ० २६५
(घ) कुंकुम - जवाकुसुम - कुसंभादीणं तेउलेस्सा |
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- षट्० पु १६ | ०० ४८४
शशक का रुधिर, मेष का रुधिर, बाहर का रुधिर, सांवर का रुधिर, मनुष्य का रुधिर, इन्द्रगोप, नवीन इन्द्रगोप, बालसूर्य या संध्या का रंग, जाति हिंगुल, प्रबालांकुर, लाक्षारस, लोहिताक्षमणि, किरमिची रंग की कम्बल, गज का तालु, दाल की पिष्ट राशि, पारिजात कुसुम, जपा के सुमन केसु पुष्पराशि, रक्तोत्पल, रक्ताशोक रक्त कनेर, रक्तबन्धुजीव, तोते की चोंच, दीपशिखा आदि के रक्त वर्ण से अधिक इष्टकर, कंतकर, प्रीतिकर मनोज्ञ तथा मनभावने लाल वर्णवाली तेजो लेश्या होती है ।
पंचवर्ण में तेजोलेश्या रक्त वर्ण की होती है ।
'११५ पद्मलेश्या के वर्ण :
(क) पम्हलेस्सा णं भंते! केरिसिया वन्नेणं पन्नत्ता ? गोयमा ! से जहानामए चंपे इ वा चंपयछल्ली इ वा चंपयभेये इ वा हालिहा इवा हालिगुलिया इ वा हालिदभेये इ वा हरियाले इ वा हरियालगुलिया इवा हरियालभेये इ वा चिउरे इ वा चिउररागे इवा सुवन्नसिप्पी इ वा वरकणगणिहसे इ वा वरपुरिसवसणे इ वा अल्लइकुसुमे इ वा चंपय कुसुमे इ वा कण्णियारकुसुमे इ वा कुहंडय कुसुमे इ वा सुवण्णजू हिया इ वा सुहिरन्नियाकुसुमे इ वा कोरिंटमल्लदामे इ पीतासोगे इ वा पीतकणवीरे इ वा पीतबंधुजीवए इ वा भवेयारूवे ? गोयमा ! णो इण सट्ट े । पम्हलेस्सा णं एतो इट्ठतरिया जाव मणामतरिया चैव वन्नेणं पन्नत्ता |
- पण्ण० प १७ । उ४ । सू १२३० । पृ० २६४
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