________________
( 21 ) जैन दर्शन समिति के अध्यक्ष श्री गुलाबमलजी भण्डारी के प्रति भी मैं आभार व्यक्त करता हूँ जिनके सतत मार्ग दर्शन से ही प्रकाशन कार्य शीघ्र सम्पन्न हो सका। समिति के वरिष्ठ सदस्य श्री नवरतनमल सुराना, श्री पन्नालाल पुगलिया, धर्मचंद राखेचा, हीरालाल सुराना आदि का सहयोग बराबर रहा है-मेरे कार्य में मेरे अनन्य सहयोगी जैन दर्शन समिति के उपमन्त्री श्री सुशीलजी बाफणा के सहयोग से मैं शब्दों को अभिव्यक्त नहीं कर सकता।
"जैन दर्शन समिति के कर्मठ कार्यकर्ता तथा अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद के अध्यक्ष श्री पन्नालाल पुगलिया ने कोश के सम्बन्ध में इस प्रकार सुझाव दिया है
जैन आगमों में कोशों का वर्णन मिलता है। जिनके आधार पर जैन दर्शन की गहराई को आंका जा सकता है। योग कोश, पुद्गल कोश, वर्धमान जीवन कोश, लेश्या कोश, आदि ऐसे कोश हैं जिनके अध्ययन एवं मनन से तत्वों की सूक्ष्म विवेचना सम्भव है। हालांकि ये कोश जन साधारण के पठन के लिये निरस से ही लगते हैं क्योंकि आम साठक इसकी गहराई को समझ नहीं पाता है। पर जैन दर्शन एवं तत्व मीमांसा के शोधार्थी प्रबुद्धजनों के लिये ये कोश बहुत उपयोगी है। ___जैन दर्शन समिति को समय-समय पर इन कोशों का प्रकाशन करती रही है। आगमों के आधार पर इन कोशों के सम्पादन में स्व० मोहनलालजी बांठिया एवं श्री श्रीचन्दजी चोरड़िया न्यायतीर्थ द्वय ने काफी श्रम किया है। पुद्गल कोश का नया प्रकाशन देखने को मिला। कोश की गहराई तक तो मैं नहीं पहुंच पाया और ना ही विवेचना को उतना समझ पाया जितनी आवश्यकता है। पर श्री श्रीचन्दजी चोरडिया के अथक श्रम, निस्पृह लगन का साक्षात्कार अवश्य हुआ।
जैन विश्वभारती लाडनू राजस्थान में युग प्रधान आचार्य श्री महाप्रज्ञजी के निर्देशन में आगम सम्पादन का कार्य चल रहा है। मेरा श्री चोरड़ियाजी से अनुरोध है कि वे आगम सम्पादन के इन कार्यों में भी सहभागी बन कर अपनी ऊर्जा एवं चेतना का सम्यक् नियोजन, समुचित व्यवस्थापन करें। इस दुरुह संकलन एवं सम्पादन के लिये आभार एवं मंगल कामनाए।"
राज प्रोसेस प्रिन्टर्स तथा उनके कर्मचारी का हमें पूरा सहयोग मिला तदर्थ
धन्यवाद।
सुशील कुमार जैन, मन्त्री
जैन दर्शन समिति
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org