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लेश्या-कोश कालोदधि समुद्र में बयालीस चन्द्र और बयालीस सूर्य विचरण करते हैं, जिनकी लेश्याएं एक दूसरे से सम्बन्धित-परस्पर में मिश्रित होकर रहती हैं।
०४.७६ सीओसिणतेयलेस्सा ( सीय-उष्णतेजोलेश्या)
-भग० श १५ । सू ६८
मूल-तए णं से वेसियायणे बालतवस्सी तुम दोच्चंपि तच्चंपि एवं वुत्ते समाणे x x x तव वहाए सरीरगंसि तेयलेस्सं निस्सरइ x x x बालतवस्सिस्स सीयोसिणतेयलेस्सा-पहिसाहरणट्टयाए x x x |
टीका-'सीओसिणं तेउलेस्सं' ति स्वकीयामुष्णां तेजोलेश्याम् ।
सीय-उष्णतेजोलेश्या--उष्ण पुद्गलों वाली तेजोलब्धि । यह तप-विशेष से प्राप्त होती है।
गोशालक के बार-बार व्यंग्य कथन करने पर वैश्यायन बालतपस्वी ने गोशालक को दग्ध करने के लिए उस पर अपनी ऊष्ण तेजोलेश्या का निक्षेप किया था।
०४.८० सीयलियतेयलेस्सं (शीतलतेजोलेश्या ) ।
-भग० श १५ । सू ६८
मूल--- x x x तए णं अहं गोसाला! तव अणुकंपणट्टयाए वेसियायणस्स बालतवस्सिस्ससीओसिणतेयलेस्सापडिसाहरणट्ठयाए एत्थ णं अंतरा सीयलियतेयलेस्सं निसिरामि x x x ।
शीतलतेजोलेश्या-शीतल पुद्गलों वाली तेजोलब्धि ।
शीतलतेजोलेश्या में उष्ण तेजोलेश्या के पुद्गलों को प्रशान्त करने की शक्ति रहती है। वैश्यायन बालतपस्वी के द्वारा गोशालक का वध करने के लिए निक्षिप्त उष्णतेजोलेश्या का प्रतिघात करने के लिए गोशालक पर अनुकम्पा करके भगवान महावीर ने शीतलतेजोलेश्या का निक्षेप किया था ।
'०४.८१ सीयलेस्सा (शीतलेश्या)
--जीजा० प्रति ३ । उ २ । सू १७६
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