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लेश्या-कोश लेश्या अनुयोगद्वार के आठ पदों में लेश्याशरीरसमवतार आठवाँ पद है। इसमें शरीर के आधार पर लेश्याओं का वर्णन दिया गया है। देखो इसी पुस्तक के पृष्ठ ४८५ से ४८७ । '०४.६७ लेस्सासामित्तविहाणे ( लेश्यास्वामित्वविधान )
-षट० पु १६ । पृ० ५७२ टीका-लेस्सापरिणामे त्ति अणियोगहारे दस वित्थरपदाणि । तं जहा-xx x लेस्सासामित्तविहाणे ४ xxx।
लेश्यापरिणाम अनुयोगद्वार के दस विस्तार पदों में लेश्यास्वामित्व विधान चौथा पद है। इसमें किस लेश्या के कौन जीव स्वामी होते हैं इसका विविध अपेक्षा से वर्णन किया गया है । '०४.६८ लोगलेसं (लोकलेश्य )
-सम० सम १३ । सू १३-१४ मूल-लंतए कप्पे अत्थेगइयाणं देवाणं xxx जे देवा xxx लोगं x x x लोगलेसं x x x लोगुत्तरवडेंसगं विमाणं देवत्ताए उववण्णा, तेसि णं देवाणं उक्कोसेणं तेरस सागरोवमाई ठिई पण्णत्ता ।
टीका-लोकाभिलापेन चैकादश विमानानीति । लोकलेश्य–लान्तव कल्प में एक विमान विशेष का नाम ।
लान्तव कल्प में कई देवता लोक आदि ११ विमानों में उत्पन्न होते हैं । इन ११ विमानों में लोकलेश्य नाम का भी एक विमान है। '०४.६६ वइरलेसं ( वइरलेश्या)
-सम० सम १३ । सू १३-१४ मूल-लंतए कप्पे अत्थेगइयाणं देवाणं xxx जे देवा xxx वइरं x xx वइरलेसं xxx वइरुत्तरवडेंसगं x x x विमाणं देवत्ताए उववण्णा, तेसि णं देवाणं उक्कोसेणं तेरससागरोवमाई ठिई पण्णत्ता।
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