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लेश्या-कोश
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लेश्याकर्म अनयोगद्वार के पंचविधिक पदों में लेपास्थान-अल्पबहत्व तीसरा पद है। इसमें लेश्या के स्थानों के अल्पबहुत्व का वर्णन है, यथा--लेश्या के छः स्थान-पतित स्थानों का प्रमाण असंख्यातलोक प्रमाण है। कापोतलेश्या के स्थान स्तोक हैं, नीललेश्या के स्थान असंख्यातगुणे हैं इत्यादि । ०४.४६ लेस्साठाणसंकमे ( लेश्यास्थानसंक्रम)
--षट ० पु १६ । पृ० ५७२ टीका-लेस्साकम्मे त्ति अणिओगहारे पंचविधियपदाणि। तं जहा- x x x लेस्साहाणसंकमे २ xxx।
लेश्याकर्म अनुयोगद्वार के पंचविधिक पदों में लेश्यासंस्थानसंक्रम दूसरा पद है।
__ लेश्या का स्थानसंक्रमण षटस्थान पद हानि-वृद्धि रूप होता है । यथातेजोलेश्या संक्लेश को प्राप्त होती है तब स्वस्थान में षट्स्थानों से पतित होती है और विशुद्धि को प्राप्त होती है तब स्वस्थान में षट स्थान वृद्धि को प्राप्त होती है।
'०४.५० लेम्साणयपरूवणा ( लेश्यानयप्ररूपणा)
-षट० पु १६ । पृ० ५७१ टीका-लेस्सा त्ति अणियोगद्दारे तत्थ इमाणि अट्ठ पदाणि। तं जहा-xx x लेस्साणयपरूवणा २ xxxi
लेश्या अनुयोगद्वार के आठ पदों में लेश्यानय प्ररूपणा दूसरा पद है। संभवतः इसमें नय की अपेक्षा लेश्या की प्ररूपणा की गई हो। ०४.५१ लेस्साणिक्खेवे ( लेश्यानिक्षेप )
-षट ० पु १६ । पृ० ४८४ टीका-एत्थ लेस्सा णिक्खिविदव्वा, अण्णहा पयदलेस्साणुववत्तीदो। तं जहा-णामलेस्सा ठ्ठवणलेस्सा दत्वलेस्सा भावलेस्सा चेदि लेस्सा चउव्विहा ।
लेश्यानिक्षेप-लेश्या सम्बन्धी ऐसा विवेचन जिससे प्रकृत लेश्या का बोध हो।
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