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लेश्या - कोश
टीका-काय लेस्सिया णाम तदिओ वादवलओ । xxx एत्थं अंधकायलेस्सा ण घेत्तव्वा, तत्थ अंधत्तवण्णाणुवलंभादो ।
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अन्धकाकलेश्य- - अन्ध--- प्रगाढ काले वर्ण वाला । तृतीय वातवलय का नाम काकलेशी है । लेकिन इसको अन्धकाकलेशी संज्ञा नहीं देनी चाहिए, क्योंकि इसके वर्ण में अन्धत्व -- प्रगाढ़ कालेपन का अभाव होता है ।
०४ १२ कायलेस्सिया ( काकलेश्यीय )
- षट्० खं० ४ | सू १० । पु११ । पृ० १६
टीका - काय लेस्सिया णाम तदियो वादवलओ । कथं तस्स एसा सण्णा ? कागवण्णत्तादो सो कागलेस्सिओ णाम ।
काकलेशी — जिसका काक के वर्ण के समान वर्ण हो । तृतीय वातवलय का नाम काकलेशी है, क्योंकि उसका वर्ण काक के समान कृष्ण होता है ।
०४ १३ किट्ठिलेसं ( कृष्टिलेश्य )
- सम० सम ४ । सू १५
मूल- सणकुमारमा हिंदेसु कप्पे अत्थेगइयाणं देवाणं चत्तारि सागरोवमाइ ठिई पण्णता । जे किडिं सुकिट्टि x x x किट्ठिवणं किट्ठिलेस xxx किट् ठुत्तरवडेंसगं विमाणं देवत्ताए उववण्णा, तेसि णं देवाणं उक्कोसेणं चत्तारि सागरोवमाइ ठिई पण्णत्ता |
कृष्टिलेश्य सनत्कुमार- माहेन्द्र कल्प विमानवासी देवों के एक विमान विशेष का नाम है, जहाँ उत्पन्न होने वाले देवों का आयुष्य उत्कृष्ट चार सागरोपम का होता है ।
-०४-१४ चरिमले संतरगया ( चरमलेश्यान्तर्गत )
- सूर० प्रा० ५ सू २४
मूल - जेणं पोग्गला सूरियरस लेसं फुसंति ते णं पोरंगला सूरियरस लेसं पsिहणंति, अदिट्ठावि णं पोग्गला सूरियस्स लेस्सं पडिहणंति, चरिमले संतरगयावि णं पोग्गला सूरियस्स लेस्सं पडिहणंति ।
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