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लेश्या-कोश (१) परिणाम, (२) वर्ण, (३) रस, (४) गन्ध, (५) शुद्ध, (६) अप्रशस्त, (७) संक्लिष्ट, (८) उष्ण, (६) गति, (१०) परिणाम ( संक्रमण ), (११) प्रदेश, (१२) अवगाहना, (१३) वर्गणा, (१४) स्थान, (१५) अल्पबहुत्व इन १५ प्रकार से लेश्या का विवेचन किया गया है। (ख) नामाई वन्न रस गन्ध, फास परिणाम लक्खणं । ठाणं ठिई गई चोउं, लेसाणं तु सुणेह मे ॥
-उत्त० उ ३४ । गा० २। पृ० १०४६ (१) नाम, (२) वर्ण, (३) रस, (४) गन्ध, (५) स्पर्श, (६) परिणाम, (७) लक्षण, (८) स्थान, (६) स्थिति, (१०) गति, (११) आयु इन ११ अपेक्षाओं से लेश्या का वर्णन सुनो।
दोनों पाठ मिलाकर निम्नलिखित अपेक्षाओं से लेश्याओं का विवेचन बनता है। १ द्रव्यलेश्या-नाम, वर्ण, रस, गन्ध, स्पर्श, परिणाम, प्रदेश, अवगाहना, स्थिति,
स्थान, अल्पबहुत्व । २ भावलेश्या-नाम, शुद्धत्व, प्रशस्तत्व, संक्लिष्ठत्व, परिणाम, स्थान, गति, लक्षण,
अल्पबहुत्व। (३) विविध-वर्गणा। इनके सिवाय भी अन्य अपेक्षाओं से लेश्या का विवेचन मिलता है। ( देखो विषय सूची)
.०८ लेश्या का निक्षेपों की अपेक्षा विवेचन आगम नोआगतो, नोआगमतो य सो तिविहो । लेसाणं निक्खेवो, चउक्कओ दुविह होइ नायव्वो ॥५३४॥ जाणगभवियसरीरा, तव्वइरित्ता य सा पुणो दुविहा। कम्मा नोकम्मे या, नोकम्मे हुति दुविहा उ ।।५३५॥ जीवाणमजीवाण य, दुविहा जीवाण होइ नायव्वा । भवमभवसिद्धिआणं, दुविहाणवि होइ सत्तविहा ॥५३६।। अजीवकम्मनोदव्व-लेसा, सा दसविहा उ नायव्वा । चन्दाण य सुराण य, गहगणनक्खत्तताराणं ॥५३७।। आभरणच्छायणा-दंसगाण, मणिकागिणीणजा लेसा। अजीवव्वलेसा, नायव्वा दसविहा एसा ॥५३८।। जा दुव्वकम्मलेसा, सा नियमा छव्विहा उ नायव्वा । किण्हा नीला काऊ, तेऊ पम्हा य सुक्का य ॥५३६॥
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