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लेश्या - कोश
(६) विजय- अनुत्तरौपपातिक देव, (१०) वैजयन्त अनुत्तरौ पपातिक देव, (११) जयन्त अनुत्तरौपपातिक देव, (१२) अपराजित अनुत्तरौपपातिक देव, (१३) सर्वार्थसिद्धअनुत्तरौप पातिक देव ।
'६६ २० २ दो लेश्या वाले जीव :--
कृष्ण तथा नील लेश्या वाले जीव - (१) धूमप्रभा नारकी ।
नील तथा कापोत लेश्या वाले जीव- (१) बालुकाप्रभा नारकी ।
६६ २००३ तीन लेश्या वाले जीव :
कृष्ण - नील- कापोत लेश्यावाले जीव-- (१) नारकी, (२) अग्निकाय, (३) वायुकाय, (४) द्वीन्द्रिय, (५) त्रीन्द्रिय, (६) चतुरिन्द्रिय, (७) असंज्ञी तिर्यच पंचेंद्रिय, (८) असंज्ञी मनुष्य, (६) सूक्ष्म स्थावर जीव, (१०) बादर निगोद जीव ।
तेजो-पद्म- शुक्ललेश्या वाले जीव- (१) वैमानिक देव, (२) पुलाक निर्मन्थ, (३) बकुस निर्ग्रन्थ, (४) प्रतिसेवनाकुशील निर्ग्रन्थ, (५) परिहारविशुद्ध संयंती, (६) अप्रमादी साधु ।
६६ २००४ चार लेश्या वाले जीव :
कृष्ण - नील- कापोत- तेजोलेश्या वाले जीव- (१) पृथ्वीकाय, (२) अपकाय, (३) वनस्पतिकाय, (४) भवनपति देव, (५) वानव्यंतर देव, (६) युगलिया, (७) देवियाँ । '६६२०५ पांच लेश्या वाले जीवः-
कृष्ण यावत् पद्मलेश्यावाले जीव : - ( १ ) अपनी जघन्यस्थितिवाले पर्याप्त संख्यात वर्ष की आयुवाले संज्ञी तिर्येच पंचेन्द्रिय जीव जो सनत्कुमार, माहेन्द्र तथा ब्रह्मलोक देवों में उत्पन्न होने योग्य हैं।
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'६६ २०६ छः लेश्या वाले जीव :
कृष्ण यावत् शुक्ललेश्यावाले जीव :- (१) तिर्यंच पंचेन्द्रिय, (२) मनुष्य, (३) देव, (४) सामायिक संयत, (५) छेदोपस्थानीय संयत, (६) कषाय कुशील निर्ग्रन्थ, (७) संयत ।
'६६२००७ अलेशी जीव : – (१) मनुष्य, (२) सिद्ध ।
*६६ २१ भुलावण ( प्रति सन्दर्भ ) के पाठ :
(क) करणं भंते! लेस्साओ पण्णत्ताओ ? गोयमा ! छ लेस्साओ पण्णत्ता (ओ), तं जहा, लेस्साणं बिइओ उद्दे सो भाणियव्वो, जाव - इड्ढी ।
- भग० श १ । उ २ । प्र ६८ । पृ० ३६३
प्रज्ञापना लेश्या पद १७ उद्देशक २ की भुलावण ।
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