SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 279
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ लेश्या - कोश [ इस पाठ में भूल मालूम होती है । यद्यपि हमको सभी प्रतियों में एक-सा ही पाठ मिला है, हमारे विचार में इसमें गर्भंज पंचेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक तथा तिर्यंच स्त्री सम्बन्धी जितना पाठ है वह ८६१७ की तरह होना चाहिए। गुणीजन इस पर विचार करें | हमने अर्थ '८६१७ के अनुसार किया हैं । ] २३८ गर्भज पंचेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक शुक्ललेशी सबसे कम तिर्यंच स्त्री शुक्ललेशी उनसे संख्यातगुणा, ग० पं० ति० पद्मलेशी उनसे संख्यातगुणा, तिर्यंच स्त्री पद्मलेशी उनसे संख्यातगुणा, ग० पं० ति० तेजोलेशी उनसे संख्यातगुणा, तिर्यच स्त्री तेजोलेशी उनसे संख्यातगुणा, ग० पं० ति० कापोतलेशी उनसे संख्यातगुणा, ग० पं० ति० नीललेशी उनसे विशेषाधिक, ग० पं० ति० कृष्णलेशी उनसे विशेषाधिक, तिर्यच स्त्री कापोतलेशी उनसे संख्यातगुणा, तिर्यंच स्त्री नीललेशी उनसे विशेषाधिक तथा तिर्यच स्त्री कृष्णलेशी उनसे विशेषाधिक होती हैं । इनसे संमूर्छिम पंचेन्द्रिय तिर्यचयोनिक कापोतलेशी असंख्यातगुणा, नीलेशी उनसे विशेषाधिक तथा कृष्णलेशी उनसे विशेषाधिक होते हैं । 1 १६ पंचेन्द्रिय तिर्य चयोनिकों तथा तिर्यंच स्त्रियों में : एएस भंते! पंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं तिरिक्खजोणिणीण य कण्हलेसाणं जाव सुक्कलेसाणं कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा ४ ? गोयमा ! सव्वत्थोवा पंचेंदियतिरिक्खजोणिया सुक्कलेसा, सुक्कलसाओ संखेज्जगुणाओ, पम्हलेसा संखेज्जगुणा, पम्हलेसाओ संखेज्जगुणाओ, तेऊलेसा संखेज्जगुणा, तेऊलेसाओ संखेज्जगुणाओ, काऊलेसा संखेज्जगुणा, नीललेसाओ विसेसाहियाओ, कण्हलेसा विसेसाहिया, काऊलेसा असंखेज्जगुणा, नीललेसा विसेसाहिया, कण्हले साओ विसेसाहियाओ । - पण ० प १७ | उ २ । सू १६ । पृ० ४४० [ इस पाठ में भूल मालूम होती है । यद्यपि हमें सभी प्रतियों में एक-सा ही पाठ मिला है, हमारे विचार में शेष की तरफ का पाठ निम्न प्रकार से होना चाहिये क्योंकि यहाँ पंचेन्द्रिय तिर्य'चयोनिकों में गर्भज पुरुष तथा संमूर्छिम दोनों सम्मिलित हैं । गुणीजन इस पर विचार करें । ''काऊलेस्साओ संखेज्जगुणाओं, नीललेस्साओ विसेसाहियाओ, कण्हलेस्साओ विसेसाहियाओ, काउलेस्सा असंखेज्जगुणा, नीललेस्सा विसेसाहिया, कण्हलेस्सा विसेसाहिया ।' हमने अर्थ इसी आधार पर किया हैं । ] पंचेंद्रिय तिर्यचयोनिक शुक्ललेशी सबसे कम तिर्यच स्त्री शुक्ललेशी उनसे संख्यातगुणा, पं० ति० पद्मलेशी उनसे संख्यातगुणा, स्त्री तिर्यच पद्मलेशी उनसे संख्यात Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016037
Book TitleLeshya kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1966
Total Pages338
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy