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लेश्या-कोश '६४.४ कापोतलेशी जीव की स्थिति :----
(क) काऊलेसे णं पुच्छा ? गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहत्त, उक्कोसेणं तिन्नि सागरोवमाइ पलिओवमासंखिज्जइभागमब्भहियाइ।
. -पण्ण० प १८ । द्वा ८ । सू ६ । पृ० ४५६ (ख) काऊलेस्से णं भंते ! जहन्नेणं अंतोमुहत्त, उक्कोसेणं तिन्नि सागरोवमाई पलिओवमस्स असंखज्जइभागमब्भहियाई।
--जीवा० प्रति ६ । सू २६६ । पृ० २५८ कापोतलेशी जीव की कापोतलेशीत्व की अपेक्षा जघन्य स्थिति अन्तर्मुहूर्त की तथा उत्कृष्ट स्थिति पल्योपम के असंख्यातवें भाग अधिक तीन सागरोपम की होती है। '६४ '५ तेजोलेशी जीव को स्थिति :
(क) तेऊलेसे णं पुच्छा ? गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहत्त, उक्कोसेणं दो सागरोवमाई पलिओवमासंखिज्जइभागमभहियाई।
-पण्ण ० प १८। द्वा ८। सू६ । पृ० ४५६ ख) तेऊलेस्से गं भंते ? गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं दोण्णिं सागरोवमाइ पलिओवमस्स असंखेज्जइभागमब्भहियाई।।
-जीवा० प्रति ६ । सू २६६ । पृ० २५८ तेजोलेशी जीव की तेजोलेशीत्व की अपेक्षा जघन्य स्थिति अन्तमुहूर्त की तथा उत्कृष्ट स्थिति पल्योपम के असंख्यातवें भाग अधिक दो सागरोपम की होती है । '६४ ६ पद्मलेशी जीव की स्थिति :
(क) पम्हलेसे णं पुच्छा ? गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहत्त, उक्कोसेणं दस सागरोवमाई अंतोमुहुत्तमब्भहियाई।
-पण्ण० प १८ । द्वा ८। सू ६ । पृ० ४५६ (ख) पम्हलेस्से णं भंते ? गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्त, उक्कोसेणं दस सागरोवमाई अंतोमुहुत्तमम्भहियाई।
-जीवा० प्रति ६ । सू २६६ । पृ० २५८ पद्मलेशी जीव की पद्मलेशीत्व की अपेक्षा जघन्य स्थिति अन्तर्मुहूर्त की तथा उकृष्ट स्थिति साधिक अन्तर्मुहूर्त दस सागरोपम की होती है। '६४.७ शुक्ललेशी जीव की स्थिति :
(क) सुक्कलेसे णं पुच्छा ? गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहत्त, उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाई अंतोमुहुत्तमब्भहियाई।
-पपण० प १८ । द्वा ८। सूह । पृ० ४५६
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