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विषय
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.१ सर्वानुभूति .२ सुनक्षत्र मुनि का हनन- पंडित मरण
३६८ ६. गोशालक द्वारा भगवान के वचनों का अनादर .१० भगवान पर गोशालक द्वारा छोड़ी गई तेजोलेश्या वापस गोशालक पर पड़ी
३७० .११ अपनी तेजोलेश्या से पीड़ित गोशालक से भगवान की वार्ता । .१२ भगवान महावीर और गोशालक के सम्बन्ध में जनचर्चा .१३ श्रमण निर्ग्रन्थों को गोशालक के साथ वार्तालाप
करने का आदेश .१४ गोशालक-श्रमण-निर्ग्रन्थों द्वारा धर्मचर्चा में निरुत्साह
३७४ .१५ अपनी तेजोलेश्या से प्रतिहत गोशालक को छोड़कर
उसके कुछ साधु भगवान के पास आये .१६ गोशालक की दुर्दशा
३७६ .१७ गोशालक की तेज शक्ति और दाम्भिक चेष्टा
३७७ .१८ गोशालक द्वारा फेंकी गई तेजोलेश्या से भगवान के शरीर में दाह-ज्वर
३७८ .१६ सिंह अणगार का शोक और रेवती गाथापत्नी
३७८ .२० भगवान का रोग और लोकोपवाद
३८० .२२ सिंह अणगार को सान्त्वना
३८१ .२३ सिंह अणगार--रेवती के घर .२४ रेवती को आश्चर्य और औषधि दान .२५ तीर्थकर काल-भगवान के रोग का उपशमन
३८५ .२६ भगवान महावीर और सिंह अणगार
३८५ .२७ गोशालक-एक प्रसंग
३८६ भगवान से गोशालक का पृथक्करण-अनेक यातनाएँ छः दिशाचर
३८६ .२८ गोशालक-एक प्रसंग (वैश्यायन बाल तपस्वी)
३८६ .२६ गोशालक की गति
३६४ .३०.१ गोशालक और सद्दालपुत्र श्रमणोपासक
३६४ .२ गोशालक-वाद-विवाद करने में समर्थ नहीं सद्दालपुत्र को आह्वान
३६५ .३ गोशालक द्वारा भगवान महावीर का गुणकीर्तन .३१ गोशालक के प्रश्न और आद्रक का उत्तर .७४ जंबू स्वामी
४०५ .१ पूर्व भव
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