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लेश्याकोश, क्रियाकोश, मिथ्यात्वी का आध्यात्मिक विकास आदि की तरह पाठों का मिलान हमने कई मुद्रित प्रतियों से किया है। यद्यपि हमने संदर्भ एक ही प्रति का दिया है।
सम्पादन में हमने निम्नलिखित बातों को आधार माना है१-पाठों का संकलन और मिलान २-विषय के उपविषयों का वर्गीकरण तथा ३-हिन्दी अनुवाद
अस्तु पाठों के मिलान के लिए हमने कई मुद्रित प्रतियों की सहायता ली है और कोई महत्वपूर्ण पाठान्तर मिला हो तो उसे शब्द के बाहरी कोष्ठक में दिया है ।
जहाँ 'वर्धमान' सम्बन्धी पाठ स्वतन्त्र रूप में मिल गया है वहाँ हमने उसे उसी रूप में लिया है लेकिन जहाँ वर्धमान सम्बन्धित पाठ अन्य विषयों के साथ सम्मिश्रित दिये गये हैं वहाँ हमने निम्नलिखित दो पद्धतियों को अपनाया है
१-पहली पद्धति में हमने सम्मिभित पाठों से 'वर्धमान' सम्बन्धी पाठ अलग निकाल दिया है तथा जिन संदर्भ में यह पाठ आया है उस सन्दर्भ का प्रारम्भ में कोष्ठ में देते हुए उसके बाद वर्धमान' सम्बन्धी पाठ दे दिया है।
२-दूसरी पद्धति में हमने सम्मिश्रित पाठों में से जो पाठ वर्धमान से सम्बन्धित नहीं है उसको बाद देते हुए वर्धमान सम्बन्धी पाठ ग्रहण किया है ।
वर्गीकृत उपविषयों में हमने मूल पाठों को अलग-अलग विभाजित करके भी दिया है तथा कहीं-कही समूचे मूल पाठ को एक वर्गीकृत उपविषय में देकर उस पाठ में निर्दिष्ट अन्य वर्गीकृत उपविषयों में उक्त मूल पाठ को बार-बार उद्धृत न करके जहाँ समूचा मूल पाठ दिया गया है उस स्थान को इंगित कर दिया गया है ।
लेश्या कोश, क्रिया कोश, पुद्गल कोश, ध्यान कोश, योग कोश की तरह वर्धमान जीवन कोश को हमने दशमलव वर्गीकरण से विभाजित किया है ।
अस्तु हमने वर्धमान जीवन-कोश चार खण्डों में विभाजित किया है। जिसका प्रथम खण्ड दस वर्ष पूर्व प्रकाशित हो चुका है, जिसमें भगवान महावीर के च्यवन, गर्भ, जन्म, दीक्षा, साधना काल, कैवल्य ज्ञान तथा परिनिर्वाण आदि का विवेचन है। तथा दूसरा खण्ड छह वर्ष पूर्व प्रकाशित हो चुका है। इसके मूल विभाग इस प्रकार है
१-वर्धमान (महावीर) के पूर्वभव-२७ भव या ३३ भव २-भगवान महावीर के पर्यायवाची नाम ३--वर्धमान महावीर की स्तुति ४-भगवान महावीर और चतुर्विध संघ की उत्पत्ति ५-भगवान महावीर की देशना ६-वर्धमान और शास्त्र संपदा
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