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________________ ( ४४० ) के इस युग में हर बौद्धिक और चिन्तनशील व्यक्ति के लिए इसका स्वाध्याय उपयोगी भी है । मुनिश्री लाभयन्दजी - यह अपने विषय की अपूर्वकृति है। मनीषी लेखक ने १८६ ग्रन्थों का गम्भीर पारायण एवं आलोडन करके शास्त्रीय रूप में अपने विषय को प्रस्तुत किया है । मिथ्यात्वीका आध्यात्मिक विकास के सम्बन्ध में विद्वान लेखक ने सरल सुबोध किंतु विवेचनात्मक शैली में अनेक शास्त्रीय प्रमाणों की पुष्टिपूर्वक किया है। एक मिथ्यात्वी भी परिवर्तन करके कितना, कैसा, किस दिशा में और सीमात्मक आध्यात्मिक विकास कर सकता है । यह पुस्तक अनेक विशिष्टताओं से युक्त है । श्री चोरड़िया जी ने विषय का प्रतिपादन बहुत ही सुन्दर और तलस्पर्शी ढंग से किया है। टीका और भाष्यों के सुन्दर सन्दर्भों से पुस्तक बड़ी सुन्दर बनी है । प्रस्तुत ग्रंथ नौ अध्यायों में विभक्त है और प्रत्येक अध्याय में अनेक उपविषय 1 प्रस्तुत विषय पर लेखक ने सप्रमाण क्रमवार विवेचन किया है । लेखक ने आगम साहित्य के महासागर में से विषय संबद्ध समस्त प्रकरणों को एकत्रित कर एक महान कार्य किया है। आगमों में अनेक स्थानों पर ऐसे प्रसंग विकीर्ण है जो मिथ्यात्वी के आध्यात्मिक विकास की पुष्टि करते है । मिथ्यात्वीका आध्यात्मिक विकास जैन तत्व दर्शन का एक बहुचर्चित पहल है । - तपस्वी मुनिश्री लाभचंदजी महाराज २७, पोलाक स्ट्रीट, कलकत्ता ता० १८-१२-८६ वर्धवान जीवन कोश - प्रथम खण्ड पर प्राप्त समीक्षा डा० ज्योतिप्रसाद जैन, लखनऊ । यह ग्रन्थ भगवान महावीर के जीवन सम्बन्धी संदर्भों का विस्तृत विश्वकोश है। लेश्याकोश क्रिया कोष की भांति इसका निर्माण भी अन्तरराष्ट्रीय दशमलव वर्गीकरण पद्धति से किया गया है । इसमें सन्देह नहीं है कि शोधार्थियों के लिए यह ग्रन्थ अतीव उपयोगी सिद्ध होगा । डा० नेमीचन्द जैन, इन्दौर। 'वर्धमान जीवन कोष' जैन विद्या के क्षेत्र का एक अपरिहार्य, अपूर्व, बहुमूल्य संदर्भ ग्रन्थ है । पूर्व प्रकाशित लेश्या कोश, क्रिया कोशों का जो स्वागत देश-विदेश में हुआ है वह उजागर है । इसी तरह का मूल्यवान् संदर्भ ग्रन्थ यह भी है । अस्तु कोश उपयोगी है और भगवान महावीर के जीवन के सम्बन्ध में बहुविष जानकारी दे रहा है । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016034
Book TitleVardhaman Jivan kosha Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1988
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size9 MB
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