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( ३८६ ) वायु को शांत करने वाला विजोरा पाकजो कल तैयार हुआ है, उसेला। वह मेरे लिए उपयुक्त है। नोट:-माबार नामक उदस्वायु को शांत करने वाला कुकट मांस अर्थात बिजोरे का
गिर अथवा मार्जार का अर्थ है-विरालिका नामक वनस्पति विशेष । उससे
भावित बिजोरे की गिर अर्थात् बिजोरा का पान.२३ सिंह अणगार-रेवती के घर
तएणं से सीहे अणगारे समणेणं भगवया महावीरेणं एवं बुत्ते समाणे हहतुहु० जाप हियए समर्ण भगवं महाषीरं वंदा णमंसद, पंदित्ता णमंसित्ता अतुरियमचवलमसंभंतं मुहपोत्तिय पडिलेहेइ मु०२ पडिलेहित्ता जहा गोयमसामी जाव जेणेष समणे भगवं महावीरे तेणेव उपागच्छद, तेणेष उवागच्छित्ता भगवं महापीरं बंदर णमंसद, वंदित्ता णमंसित्ता समणल्स भगवओ महावीरस्स अंतियाओ सालकोट्ठयाओ बेड्याओ पडिणिक्खमइ, पडिणिक्खमित्ता अतुरिय० जाप जेणेष में ढियगामे णयरे तेणेव उवागच्छद, तेणेष उवागच्छित्ता मेंढियगामं जयरं मझमजमेणं जेणेष रेषईए गहावरणीए गिहे तेणेष उवागच्छइ, तेणेव उवागच्छिचा रेषए गाहापदणीप गिहं अणुप्पषिढे । तएणं सा रेषई गाहापदणी सीहं मणगारं एजमाणं पासर, पासित्ता हह-तु० खिप्पामेव आसणाओ अम्भुइ, अद्वित्ता सीहं अणगारं सत्तडपयाई अणुगच्छह स० २ अणुगच्छित्ता तिक्खुत्तो आयाहिणं पयाहिणं करेइ आ० २ करित्ता बंद णमंसद पंदित्ता णमंसित्ता एवं पयासी-'संदिसंतु णं देवाणुप्पिया! किमागमणप्प ओयणं' १ तएणं से सीहे अणगारे रेवई गाहावइणि एवं धयासी-एवं खलु तुमे देवाणुप्पिए! समणस्स भगवओ महाषीरस्स अट्ठाए दुवे कपोयसरीरा उपक्सडिया, तेहि णो अट्ठो, अस्थि ते अण्णे पारियासिए मजारकडए कुषकुडमसए एयमाहराहि, तेणं अट्ठो।'
--भग• श १५॥ १५३।१५५.पृ• ६६५
सिंहोऽगावथ रेषतीगृहमुपायत्त प्रदत्त तया ।
___ कल्प्यं भेषजमाशु तत्र षवृषे स्वर्ण चरप्टैः सुरैः॥ सिंहानीतमुपास्य भेषजबरं तरर्धमानः प्रभुः। सय संघचकोरपार्वण शशी प्रापपुः पाटषम् ॥
-त्रिशलाका• पर्व. १. सर्ग ८
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