SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 329
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( २४६ ) ' और उन दोनों देवों ने श्रमण भगवान महावीर को वंदन किया, नमस्कार किया और मनसे पर्युपासना की इच्छावाले-नमस्कार कर यावत उन देवों के सम्मुख होकर पर्यपासना करने लगे। भगवान् महावीर के समय के देव विशेष । .१६ काली देवी ... तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नयरे गुणसिलए चेइए। सेणिए राया। चेल्लणा देवी। सामी समोसढे । परिसा निग्गया जाव परिसा पज्जुवासइ ॥९॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं काली देवी चमरचंचाए रायहाणीए कालीवर्डेसगभवणे कालंसि सीहासणंसि चउहि सामाणियसाहस्सीहिंxxx अण्णेहि य बहूहि कालिवडिंसय-भवणवासीहिं असुरकुमारेहिं देवेहि देवीहि य सद्धि संपरिखुडा महयाहय जाव विहरइ ॥१०॥ ____एत्थ समणं भगवं महावीरं जंबुद्दीवे दीवे भारहेवासे रायगिहे नयरे गुणसिलए चेइए अहापडिरूवं ओग्गहं ओगिण्हित्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावमाणं पासइ, पासित्ता हट्ठतुट्ठ-चित्त-माणंदिया पीइमणा x x x हियया सीहासणाओ अब्भुठेइ, अन्भुढे त्ता पायपीढाओ पश्चोरुहइ पश्चोरुहित्ता पाउयाओ ओमुयइ, ओमुइत्ता तित्थगराभिमुही सत्तट्ठ पयाई अणुगच्छइ, अणुगच्छित्ता वामं जाणुं अंचेइ, अंचेत्ता दाहिणं जाणुं धरणियलंसि निहट्ट तिक्खुत्तो मुद्धाणं धरणियलंसि निवेसेइ, ईसिं पञ्चुन्नमाइ, पच्चुन्नमित्ता कडग-तुडिय-थंभियाओ भुयाओ साहरइ-साहरित्ता करयलं जाव कट्टु एवं वयासी_ "नमोत्थुणं अरहताणं भगवंताणं जाव सिद्धिगइनामधेनं ठाणं संपत्ताणं । नमोत्थुण समणस्स भगवओ महावीरस्स जाव सिद्धिगइनामधेज्जं ठाणं संपाविउकामस्स। वंदामि णं भगवंतं तत्थगयं इहगया, पासउमे समणे भगवं महावीरे तत्थगए इहगयंत्ति कटु वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता सीहासणवरंसि पुरत्थाभिमुहा निसण्णा ॥११॥ __ तएणं तीसे कालीए देवीए इमेयारूवे ( अज्झथिए वितिए पत्थिए मणोगए संकप्पे) समुप्पजित्था-सेयं खलु मे समणं भगवं महावीरे वंदित्तए नमंसित्तए सक्कारित्तए सम्माणित्तए कल्लाणं मंगलं देवयं चेइयं ) पज्जुषासित्तए Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016034
Book TitleVardhaman Jivan kosha Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1988
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy