SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 266
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( १८३ ) (२) दसण्णपुरे नयरे राय-गुण-गणालंकिओ दसण्णभदो राया कामिणीयण-पंचसयपरिवारो भोगे भुंजतो चिट्ठर। अण्णया समोसरिओ समुप्पन्न-नाणाइसओ भुवणभूसओ वद्धमाणसामी । बनिद्धाषिओ राया उत्त पुरिसेहि तित्थयरागमणेण । -धर्मो० पृ. ११० सुरासुर से समावृत श्री वीरप्रभु चम्पानगरी से विहार कर अनुक्रमतः दशाप देश में आये। उस देश में दशाणपुर नामक नगर है वहाँ का राजा दशाण भद्र था। वीर भगवान दशाण नगर के बाहर पधारे । देवों ने समवसरण की रचना की। .३२ मेंढिकग्राम-श्रावस्ती से विहार (क) तएणं समणे भगवं महावीरे अण्णया कयाइ पुवाणुपुन्धि चरमाणे जाच जेणेव में ढियगामे नयरे जेणेव साणकोट्ठए चेइए जाव परिसा पडिगया -भग० श १५/सू १४५ प्रभुः श्रीवर्धमानोऽपि मेंढकग्राममभ्यगात् । चैत्ये च समवासार्षीत्तत्र कोष्ठकनामनि ॥४७॥ –त्रिशलाका पर्व १० सर्ग, अन्यथा भमण भगवान महावीर अनुक्रम से विहार करते हुए मेदिक ग्राम नगर के बाहर शालकोष्ठक उद्यान में पधारे । (ख) तएणं समणे भगवं महावीरे अण्णया कयाइ सावत्थीओ णयरीओ कोहयाओ चेहयाओ पडिणिक्खमइ, पडिणिक्खिमित्ता बहिया जणवयविहारं विहरइ। तेणं कालेणं तेणं समएणं मेंढियगामे णामं णयरे होत्था, वण्णओ। तस्स णं मेंढियगामस्स णयरस्स बहिया उत्तरपुरच्छिमे दिसिभाए, एत्थ णं साणकोट्ठप णामं चेइए होत्था, वण्णओ जाव पुढविसिलापट्टओ। तस्स णं साणकोट्ठगस्स णं वेश्यस्स अदूरसामंते, एत्थ णं महेगे मालुयाकच्छए यावि होत्था, किण्हे किण्होभासे जाव णिउरंबभूए, पत्तिए, पुफिए, फलिए, हरियगरेरिजमाणे, सिरिए अईव-अईव उवसोभेमाणे चिट्ठइ। तत्थ णं मेंढियगामे णयरे रेवई णाम गाहावइणी परिवसइ, अड्ढा जाव अपरिभूया। तएणं समणे भगवं महावीरे अण्णया कयाइ पुन्वाणुपुब्धि परमाणे जाव जेणेव मेंढियगामे णयरे जेणेव साणकोहए चेइए जाव परिसा पडिगया। - भग• श १५/सू १४३/१४५/पृ० ६६२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016034
Book TitleVardhaman Jivan kosha Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1988
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy