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________________ ( १६४ ) (8) दर्शाणनगर से अन्यत्र विहार जगन्नाथोऽपि भव्यनामुपकारपराणः। विजहार ततः स्थानादन्येषु नगरादिषु ।।५६॥ -त्रिशलका पर्व १० सर्ग १० वीर प्रभु भव्य जनों के उपकारार्थ वहाँ से दूसरे नगर आदि स्थान में विहार किया(ड) राजगृह से अन्यत्र विहारतएणं अहं रायगिहाओ पडिणिक्खंते बहिया जणवयविहार विहरामि । –णाया० श्रु १/अ १३ मैं ( भगवान महावीर ) राजगृह नगर से बाहर निकल कर बाहर जनपद में विचरण करने लगे। (ढ) भगवान महावीर के विहार स्थलराजगृह से-अभयकुमार की दीक्षा के बाद भव्यानां प्रतिबोधाय ततश्च भगवानपि । सुरासुरैः सेव्यमानो विजहार वसुन्धराम् ॥१०६ ॥ -त्रिशलाका• पर्व १०/सर्ग १२ भगवंत श्री वीरप्रभु सुर-असुरों से सेवित होते हुए भव्य जनों को प्रतिबोध देने के लिये राजगृह से अन्यत्र विहार किया। (ण) भगवान् का चंपा से विहार तएणं समणे भगवं महावीरे अन्नया कयाइ चंपाओ पडिणिक्खमइ पडिणिक्खमित्ता बहिया जणवय-विहारं विहरइ । -उवा अ२ भमण भगवान महावीर ने अन्य किसी दिन चंपा से प्रस्थान किया और जनपदों में विचरने लगे। (त) वाणिज्पग्राम से भगवान् का विहारतएणं समणे भगवं महावीरे अन्नया कयाइ बहिया जाव विहरइ। --उवा० अ१ ... तदनन्तर श्रमण भगवान महावीर वाणिज्यग्राम से अन्य जनपदों में बिहार कर गये और वहाँ धर्मोपदेश देते हुए विचरने लगे। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016034
Book TitleVardhaman Jivan kosha Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1988
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size9 MB
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