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( १५६ ) (छ) तेणं कालेणं तेणं समएणं वाणियग्गामे नयरे होत्था - वण्णओ । दूतिपलासप चेइए । सामी समोसढे x x x परिसा पडिगया |
- भग० श १० / उ४ / सू. ४२ / पृ० ४७४ उस काल उस समय में वाणिज्यग्राम नामक नगर था । द्यतिपलाश चैत्य था । श्रमण भगवान महावीर स्वामी वहाँ पधारे ।
( सुदर्शन श्रमणोपासक के समय में )
(ज) तेणं कालेणं तेणं समएणं वाणियग्भामे नामं नगरे होत्था वण्णओ । दूतिपलासए चेइए वण्णओ जाव पुढविसिलापट्टओ । XXX। सामी समोसढे जाव परिसा पज्जुवासइ ।
- भग० श ११ / उ ११ /सू ११५/पृ० ५१२
उस काल उस समय में वाणिज्यमाम नामक नगर था । द्य तिपलाश नामक उद्यान था । उसमें एक पृथ्वी शिलापट्ट था । उस वाणिज्यनगर में श्रमण भगवान महावीर स्वामी पधारे। परिषद् पर्युपासना करने लगी ।
नोट - उस समय वाणिज्यग्राम में सुदर्शन श्रमणोपासक रहता था ।
भगवान महावीर के बिहार स्थल का तीसवाँ वर्ष
(झ) तेणं कालेणं तेणं समएणं वाणियगामे नयरे होत्था, एत्थ नयरवण्णओ भाणियव्वो । तस्सणं वाणियगामस्स नयरस्त बहिया उत्तरपुरत्थिमे दिलीभाए दूइपलासए नामं खेइए होत्था । खेइय बण्णओ भाणियध्वो । जियसत्तू राया, तस्स धारिणी नामं देवी । एवं सव्वं समोसरणं भाणियव्वंजावपुढवीसिलापट्टए, सामीसमोसढे, परिसा निग्गया, धम्मो कहिओ, परिला पडिगया । - दसासु० द ५ / सू २
उस काल उस समय में वाणिज्यग्राम नगर था उत्तर-पूर्व दिशा में युतिपलाश नामक चैत्य था । परिषद् का आगमन हुआ । भगवान ने धर्मकथा कही ।
। उस वाणिज्यग्राम नगर के बाहर भगवान् महावीर का पदार्पण हुआ ।
(अ) तेणं कालेणं तेणं समपणं वाणियगामे णामं नयरे होत्या । वण्णओ । दुइपलासए हए । वण्णओ । x x x । तएण समणे भगवं महावीरे जाव समोसढे । जावपरिसा पज्जुवासइ । - भग० श०१८ / उ १० सू २०४
उस काल उस समय में वाणिज्यग्राम नामक नगर और द्य तिपलाश नामक उद्यान था । किसी दिन श्रमण भगवान महावीर वाणिज्यग्राम से द्य तिपलास चैत्य में पधारे यावत् परिषद् पर्युपासना करने लगी ।
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