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________________ ( ७२ ) १ से ६ - छह व्रत अर्थात् अहिंसादि पाँच महाव्रत और रात्रि भोजन की विरति । ७ से १२ - कायषट् क - पृथ्वीकाय, अप्काय आदि छह काय की रक्षा | १३ – अकल्प्य वस्त्र - पात्रादि १४- गृहस्थ का पात्र १५ – पर्यक- पलंग १६ – निषद्या - स्त्री के साथ बैठना १७- स्नान न करना १८ - शोभा - विभूषाका परिहार इन अठारह स्थानों का परिहार करना । ५. भगवान महावीर और पंच महाव्रत की भावना -१ पुरिमपच्छिमताणं तित्थगराणं पंचजामस्स पणवीसं भावणाओ पण्णत्ताओ, तंजा (१) इरियासमिई, (२) मणगुत्ती, (३) वयगुत्ती, (४) आलोयभायण- भोयणं, (५) आदाण - भंड- मत्त - निक्खेवाणासमिई । (१) अणुवीति - भासणया, (२) कोहविवेगे, (३) लोभविवेगे, (४) भयविवेगे, (५) हासविवेगे । (१) उग्गह- अणुण्णवणता, (२) उग्गह-सीमजाणणता, (३) सयमेव उग्गहअणुगेण्हणता, (४) साहम्मियउग्गहं अणुण्णविय परिभुंजणता, (५) साधारणभत्तपाणं अणुण्णवियपरिभुंजणता । (१) इत्थी - पसु -पंडग-संसत्तसयणा सणवजणया, (२) इत्थी कहविवजणया, (३) इत्थिइ दियाण-आलोयण- वज्रणया, (४) पुग्वरय- पुव्वकीलिआणं अणुसरणया, (५) पणीताहारविवजणया । (१) सोइ दियरागोवरई, (२) वखिदियरागोवरई, (३) घाणिदियरागोवरई, (४) जिब्भिदियरा गोवरई, (५) फासिंदियरागोवरई । सम० सम २५ सू० / १ टीका-तत्र 'पंख जामस्स' ति पंचानां यामानां महाव्रतानां समाहारः पंचयामं तस्य 'भावनाओ' त्ति प्राणातिपातादिनिवृत्तिलक्षणमहाव्रतसंरक्षणाय भाव्यन्ते इति भावना - स्ताश्व प्रति महाव्रत पंचपंचेति, तत्रेर्यासमित्याद्याः पंच प्रथमस्य महाव्रतस्य तत्रालोकभाजन भोजनं - आलोकनपूर्व भाजने -पात्रे भोजनं भक्तादेरभ्यवहरणम्, अनालोक्यभाजन - भोजनेहि प्राणिहिंमा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016034
Book TitleVardhaman Jivan kosha Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1988
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size9 MB
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