________________
( ४१ ) १६. श्रावक कितने थे(क) समणस्स भगवओ महावीरस्स संखसयगपामोक्खाणं समणोवासगाणं एगा सयसाहस्सी अउणढि च सहस्सा उक्कोसिया समणोवासयाणं संपया होत्था ।
-कप्प० सू० १३५/पृ० ४३ (ख) श्रावकाणां तु लकैकोनषष्टिसहस्रयुक्
-त्रिशलाका पर्व १०/सर्ग १२/श्लोक ४३६ पूवर्ध (ग) शंखप्रमुखाणां श्रमणोपासकानामेकं लक्षं एकोनषष्टिः सहस्राणि १५९००० ।
-आव निगा २८६/मलय टीका भगवान के शंख प्रमुख आदि १५६००० श्रावक थे। (घ) लक्खाणि तिणि सावयसंखा उसहादिअट्ठतित्थेसु।
पत्तेक्कं दो लक्खा सुविहिप्पहुदीसु अट्ठतित्थेसुं॥ एक्केक्कं चियलक्खं कुंथुजिणिंदादिअट्ठतित्थेसुं। सव्वाण सावयाणं मेलिदे अडदाललक्खाणि ॥
-तिलोप० अधि ४/गा ११८१-८२ कंथुनाथ आदि आठ तीर्थंकरों में से प्रत्येक के तीर्थ में श्रावकों की संख्या एकएक लाख कही गयी है । (च) भणु एक लक्खु मंदिरजईहिं
-वीरजि० संधि २/कड ८ (छ) दृग्ज्ञानसद्वतोपेताः श्रावकाः लक्षसंख्यकाः ।
-वीवर्धमानच० अधि १६ श्लो २१४ (ज) श्रावका लक्षमेकं तु xxx
–उत्तपु० पर्व ७४/श्लो ३७६ भगवान के एक लाख गृहस्थ श्रावक थे। जो सम्यग् दर्शन, सम्यग् ज्ञान और गृहस्थ व्रतों से संयुक्त थे। २०. श्राविका कितनी थी(क) श्रमणस्य भगवतो महावीरस्यxxxसुलसारेवतीप्रमुखाणां श्रमणोपासिकानां त्रीणि शतसहस्राणि अष्टादश सहस्राणि ३१८०००
-आव० निगा २८६/मलय टीका
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org