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वर्धमान जीवन-कोश
२८३ श्वेताम्बर परम्परा के अनुसार
दिगम्बर परम्परा के अनुसार १- इन्द्रभूति
१- इन्द्रभूति २- अग्निभूति
२- अग्निभूति ३- वायुभूति
३- वायुभूति ४- व्यक्त
४- सुधर्म ५- सुधर्मा
५- मौर्य ६- मंडित
६- मौंड्य-मौन्द्रय ७- मौर्यपुत्र
७- पुत्र ८- अकंपित
८- मैत्रेय 8- अचलभ्राता
ह- अकम्पन १०- मेतार्य
१०- अन्धवेल ११- प्रभास
११- प्रभास भगवान् महावीर के परिनिर्वाण के १२ वर्ष पश्चात् इन्द्रभूति तथा २० वर्ष पश्चात् सुधर्मा गणधर का परिनिर्वाण हुआ। शेष गणधरों का भगवान् महावीर के पूर्व ही परिनिर्वाण हो चुका था।
१-चौथे व्यक्त गणधर, छ8 मंडित गणधर, सातवें मौर्यपुत्र गणधर, आठवें अकम्पित गणधर, इन चारों गणधरों का परिनिर्वाण-भगवान महावीर का जिस वर्ष में परिनिर्वाण हुआ-उसी वर्ष में भगवान् महावीर के पूर्व हुआ।
२-द्वितीय अग्निभूति गणधर, तृतीय वायुभूति गणधर का परिनिर्वाण-भगवान महावीर के परिनिर्वाण के लगभग २ वर्ष पूर्व हुआ।
३-नववे अचलभाता गणधर तथा दसवें मेतार्य गणधर का परिनिर्वाण-भगवान् महावीर के परिनिर्वाण के लगभग ४ वर्ष पूर्व हुआ।
४–तथा ग्यारहवें प्रभास गणधर का परिनिर्वाण-भगवान महावीर के परिनिर्वाण के लगभग ६ वर्ष पूर्व हुआ। .७ आमर्शीषधि आदि लब्धि सम्पन्न थे। मासं पाओवगया सव्वेऽविय सव्वलद्धिसंपन्ना।
-आव० निगा ६५६ टोका-सर्वेऽपि सर्वलब्धिसम्पन्नाः आमाँपाध्याद्यशेषलब्धिसंपन्नाः।
शुभ अध्यवसाय तथा उत्कृष्ट तप-संयम के आचरण से तत् तत्त्कर्म का क्षय और क्षयोपशम होकर आत्मा में जा विशेष शक्ति उत्पन्न होती है उसे लब्धि कहते हैं।
आमशौषधिलब्धि, विग्रु डौषधिलब्धि, खेलौषधिलब्धि, जल्लौषधिलब्धि, सौंषधिलब्धि, सम्भिन्नश्रोतोलब्धि, अवधिज्ञानलब्धि, जुमतिलब्धि, विपुलमतिलब्धि, चारणलब्धि, आशीविपलब्धि, गणधरलब्धि, पूर्वधरलब्धि, क्षीरमधुसर्पिराश्रवलब्धि, कोष्ठकलब्धि, पदानुसारिणीलब्धि, बीजबुद्धिलब्धि, तेजोलेश्यालब्धि, आहारकलब्धि, शीतलेश्यालब्धि, वैकुर्विकदेहलब्धि, अक्षीणमहानसीलब्धि, पुलाकलब्धि आदि-इन्द्रभूति आदि गणधरों को थी।
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