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एक में भगवान महावीर के गर्भ प्रवेश से निर्वाण तक का जीवनवृत्त संकलित किया गया है। भाग दो में उनके ३३ पूर्व भवों का विवरण है जो कि श्वेताम्बर व दिगम्बर परम्परा से लिया गया है। इससे तुलनात्मक अध्ययन सुगम हो जाता है। इसके अतिरिक्त इसमें भगवान महावीर के पांचों कल्याणक, नाम एवं उपनाम, उनकी स्तुतियां, समवसरण, दिव्यध्वनि, संघ विवरण, इन्द्रभूति आदि ग्यारह गणधरों का पृथक-पृथक विवरणादि संकलित है।।
इस भाग में संकलित अनेक विषय बहुधा प्रथम भाग में संकलित विषयों के परिपूरक हैं । विषयों को इसमें अन्तर्जातीय दशमलव के रूप में विभाजित व संकलित किया गया है जैसा कि सम्पादकों ने उपरोक्त वर्गीकृत कोश ग्रन्थों में किया है।
विद्वान् अन्वेषकों के लिए तीर्थंकर भगवान महावीर के इस भांति के वर्गीकृत कोश ग्रन्थों की उपादेयता के विषय में कोई दो मत नहीं हो सकता। परिश्रम साध्य व समय सापेक्ष इस कार्य को इतने सुचारू रूप से सम्पादन करने के लिए हम विद्वान पण्डित श्री श्रीचन्द चोरड़िया का आन्तरिक भाव से अभिनन्दन करते हैं । साथ ही जैन दर्शन समिति और उनके कार्यकर्ताओं को भी इसके प्रकाशन के लिए धन्यवाद देते हैं। ज्योति निकुंज
ज्योतिप्रसाद जैन चार बाग, लखनऊ १२ जून, १९८४
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