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२१-श्री रतनचंद नाहटा
कलकत्ता २२-श्री देवचंद दुगड़ २३-श्री बिहारीलाल जैन, २४-श्री ज्ञानचन्द गुलाबचन्द
___ यद्यपि 'वर्धवान महावीर, जीवन के संबंध में अनेक ग्रंथ प्रकाशित हो तुके हैं लेकिन यह वर्धमान जीवन कोश, शास्त्रों के आधार पर एक उच्च कोटि का कोश है जिसमें मूल आगम का आधार तो है ही-दिगम्बर और श्वेताम्बर ग्रंथों का आधार भो प्रचुर मात्रा में लिया गया है। कुछ बौद्ध और वैदिक ग्रथों का भी आधार रहा है। भगवान महावीर के पूर्व भव, ग्यारह गणधर, आर्य चंदना आदि का विवेचन अनेक पुस्तकों में अनेक प्रकार से आये हैं। वे इस ग्रंथ में संकलित है। इस तरह यह जीववृत्त और जीवन प्रसंग का कोश है।
अस्तु हम आपके सामने वर्धमान जीवन कोश -द्वितीय खंड को रख रहे हैं। प्रस्तुत ग्रंथ का प्रतिपादन अत्यन्त प्राञ्जल एवं प्रभावक रूप में सूक्ष्मता के साथ किया गया है। यह भगवान महावीर की जीवनधारा को शास्त्रों के आधार पर बताने वाला अनुपम ग्रंथ है। वर्धमान जीवन कोश के तृतीय खंड को भी जल्द ही प्रकाशित करने की योजना है। इसमें वर्धमान के साधु-साध्वी-श्रावक-श्राविका तथा ऐतिहासिक पुरुष विशेष का व्यक्तिगत रूप से विवेचन रहेगा।
परमाराध्य युगप्रधान आचार्य श्री तुलसी हमारी प्रार्थना पर ध्यान देकर प्रस्तुत कोश पर आशीर्वचन लिखा इसके लिये उनके प्रति श्रद्धावनत हैं।
___LD. Institute of Indology अहमदाबाद के भूतपूर्व डाइरेक्टर दलसुखभाई मालवणिया जो जैन दर्शन के उद्भट विद्वान है, उनके बहुमूल्य सुझाव बराबर मिलते रहे हैं तथा लखनऊ के डा. ज्योतिप्रसाद जैन जो जैन दर्शन के उच्चकोटि के विद्वान है। प्रस्तुत ग्रन्य पर 'Fore-word लिखकर हमें अनुगृहीत किया है। इसके लिये हम उन दोनों विद्वानों के लिये अत्यन्त आभारी हैं।
स्व. श्री मोहनलालजी बांठिया तथा श्रीचंदजी चोरडिया अनेक पुस्तकों का अध्ययन कर प्रस्तुत कोश को तैयार कर हमे प्रकाशित करने का मौका दिया-उनके प्रति भी हम आभारी हैं।
स्व. श्री ताजमलजी बोथरा को भी हम भूल नहीं सकते हैं। जिनका कोश कार्य में बराबर सहयोग रहा। जबरमलजी भंडारी जो हमारी संस्था को मार्ग-दर्श। दे रहे हैं एवं इस कोश को प्रकाशित करने में तन मन, धन से सहयोग देते रहे-उनके प्रति हम अत्यन्त कृतज्ञ हैं। समिति आपकी सेवाओं को सदैव स्मरण रखेगी।
हमारी समिति के द्वारा प्रकाशित अभी ३ पुस्तकें स्टोक में है। हमारी समिति के निर्णयानुसार १००) रु. देने वाले सज्जनों को १३०) रु. की निम्नलिखित पुस्तकें दी जाती है। १-मिथ्यात्वी का अध्यात्मिक विकास
१५) २-वर्धमान जीवन कोश- प्रथमखंड
५०) ३-वर्धमान जीवन कोश-द्वितीयखंड
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