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पुद्गल-कोश
६८९ _लेश्या कोश, क्रिया कोश, तथा योग कोश-इन तीनों के सम्पादक है स्व. मोहनलाल बांठिया तथा श्रीचन्द चोरड़िया। सम्पादक द्वय ने लेश्या, क्रिया और योग के बिखरे संदर्भो को जैन आगम साहित्य से एकत्रित कर उनके सुसम्पादित रूप को लेश्या कोश, क्रिया कोश और योग कोश के रूप में प्रकाशित किया था। सारा विषय उपबिन्दुओं में विभक्त तथा हिन्दी भाषा के अनुवाद से अन्वित है। लेश्या कोश सन् १९६६ में, क्रिया कोश १९६९ में, योग कोश सन् १९९४ में जैन दर्शन समिति, कलकत्ता से प्रकाशित हुआ है।
श्री भिक्षु आगम विषयक पूरोवाक्
- गणाधिपति तुलसी --आचार्य श्री महाप्रज्ञ
तुलसी प्रज्ञा
आज से अड़तीस वर्ष पूर्व आचार्य श्री तुलसी ने आगम सम्पादन के कार्य करने की घोषणा की थी। सम्पादन का एक अंग कोश है। तत्वज्ञ श्रावक श्री मोहनलाल जी बांठिया ने इस कार्य को अपने ढंग से करना शुरु किया। कोश का निर्माण दृढ़ व स्थिर अध्यवसाय से ही होता है। वे मनोयोग से लगे। उन्हें सहयोगी मिले श्री श्रीचन्द चोरडिया ( न्यायतीर्थ)। अस्वस्थ रहते हुये भी बांठियाजी इस कार्य को करते रहे।
। उनके देहान्त होने के बाद उनके अधूरे कार्य को पूरा करने में लगे हुये हैं श्री श्रीचन्दजी चोरड़िया। सीमित साधन सामग्री में वे जो कुछ कर पा रहे हैं, वह उनके दृढ़ संकल्प का ही परिणाम है। क्रिया कोश, लेश्या कोश, मिथ्यात्वी का आध्यात्मिक विकास, वर्धमान जीवन कोश के बाद अब योग कोश को सम्पन्न किया है । स्तुल्य है । आगमों के इन अन्वेषणीय विषयों पर कोई भी चले अनुमोदनीय है, अनुकरणीय है।
फिर भी जैन दर्शन समिति का यह प्रकाशन विशेष संग्रहणीय बन पड़ा है। श्रम का उपयोग कितना होता है-यह तो शोधकर्ताओं पर निर्भर करता है।
कोश की शृखला विराम न लें, चोरडिया में स्वाध्याय व सृजन दोनों की वृद्धि हो, इसी शुभाशंषा के साथ ।
-मुनि सुमेर, ( लाडनू) कलकत्ता-माघ शुक्ल २, संवत् २०५०
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