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पुद्गल-कोश
६८१ :. . मैंने इसे पूरी तरह पढ़ा। इसे बहुत पसन्द किया। महावीर के विषय में बहुत-सी अनजाने तथ्यों की जानकारी मिली।
-प्रवीणचन्द्र मेहता, वासुदेवपुर, वर्धमान
स्व. मोहनलालजी बांठिया एवं उनके अनन्य सहयोगी श्रुत स्वाध्यायी श्रीचंदजी चोरडिया के अथक परिश्रम का साकार रूप में जैन कोश के विभिन्न विषयों पर आधारित हमारे सम्मुख प्रकाशित होकर आ रहा है। जब-जब मैं इन पुस्तकों को देखता हूँ-बड़ा आश्चर्य होता है कि कलकत्ता जैसे महानगर में व्यस्त रहते हुए इन दोनों मनीषिमों ने इतना भगीरथ प्रयत्न करने का दुःसाहस किया है और इन्हें सफलता मिल रही है। इसका बड़ा आश्चर्य है।
वर्धमान जीवन कोश के तीनों खण्ड देखें। सामग्री बहुत एकत्रित की है। सभी उद्धरणों के साथ उनकी साज-सज्जा की है। अनेक विवरण भी दिये हैं।
. जैन आगम, श्वेताम्बर ग्रन्थ, दिगम्बर ग्रन्थ, बौद्ध एवं वैद्धिक दर्शन से भी संकलन है। संदर्भ और उद्धरण विशेष रूप से उल्लेखनीय है। गम्भीर अध्ययन
और खोज के बाद कोश का निर्माण किया गया है। प्रथम खण्ड, द्वितीय खण्ड में क्रमशः भगवान् का जीवन, पूर्वभव का विवरण है। तृतीय खण्ड सजिल्द तैयार है देखकर पूरा संतोष है। श्रीचंदजी को इस कार्य में गति लाना है।
-सुशील कुमार जैन
- स्व. मोहनलाल बांठिया एवं उनके अनन्य सहयोगी श्रुत स्वाध्यायी श्रीचन्दजी चोरड़िया के अथक परिश्रम का साकार रूप जैन कोश के विषयों पर आधारित हमारे सामने प्रकाशित होकर आ रहा है। जब-जब मैं इन पुस्तकों को देखता हूँ बड़ा आश्चर्य होता है कि कलकत्ता जैसे महानगर में व्यापार में व्यस्त रहते हुएइन दोनों मनीषियों ने इतना भगीरथ प्रयत्न करने का दुस्साहस किया है उन्हें सफलता मिल रही है । इसका बड़ा ही गौरव है।
अस्तु वधमान जीवन कोश तीनों खण्ड देखें। सामग्री बहुत संग्रह की है। सभी उद्धरणों के साथ उनकी प्राप्ति स्थान का विवरण भी दिया है। । जैन आगम, ग्रन्थ-श्वेताम्बर-दिगम्बर ग्रन्थ एव विपुल जैनेतर ग्रन्थों का भी उद्धरण है। संदर्भ और उद्धरण विशेष रूप से उल्लेखनीय है। शंभीर अध्ययन और अन्वेषण के बाद कोश का निर्माण किया गया है। .
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