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पुद्गल-कोश एएसि णं भंते ! एगगुणकक्खडाणं दुगुणकक्खडाण य पोग्गलाणं दव्वट्ठयाए कयरे कयरेहितो जाव विसेसाहिया वा? गोयमा ! एकगुणकक्खडेंहितो पोग्गलेहितो दुगुणकक्खडा पोग्गला दब्वट्ठयाए विसेसाहिया, एवं जाव-नवगुणकक्खडेहितो पोग्गलेहितो दसगुणकक्खडा पोग्गला दवट्ठयाए विसेसाहिया, दसगुणकक्खडेहितो पोग्गलेहितो संखेज्जगुणकवखडा पोग्गला बव्वट्ठयाए बहुया, संखेज्जगुणकक्खहिंतो पोग्गलेहितो असंखेज्जगुणकक्खडा पोग्गला दवट्ठयाए बहुया, असंखेज्जगुणकक्खडहितो पोग्गलेहितो अणंतगुणकक्खडा पोग्गला दवट्ठयाए बहुया।
एवं पएसट्टयाए वि सम्वत्थ पुच्छा भाणियव्वा । जहा कक्खडा एवं मउयगरुय-लहुया वि। सीय-उसिणनिद्ध-लुक्खा जहा वन्ना। [सू १६२ ]
-भग० श २५ । उ ४ । सू १६१, १६२ पृ० ९२२ एक गुणकाले व द्विगुणकाले पुद्गल की द्रव्य की अपेक्षा अल्पबहुत्व के विषय में जैसा परमाणु पुद्गल के विषय में कहा-वैसा ही कहना चाहिए ।
इसी प्रकार सब वर्ण, गंध, रस के पर्याय के विषय में जानना चाहिए।
एक गुण कर्कश स्पर्श के पुदगल से द्विगुण कर्कश गुण स्पर्श के पुद्गल द्रव्यतः विशेषाधिक है। ___ इसी प्रकार यावत् नवगुण कर्कश स्पर्श से दसगुण कर्कश स्पर्श के पुद्गल द्रव्यतः विशेषाधिक है।
दसगुण कर्कश स्पर्श पुदगल से संख्यातगुण कर्कश स्पर्श के द्रव्यतः पुद्गल बहुत है। संख्यातगुण कर्कश स्पर्श के पुद्गल से असंख्यातगुण कर्कश स्पर्श के पुद्गल द्रव्यत: बहुत है। असंख्यातगुण कर्कश स्पर्श के पुद्गल से अनतगुण कर्कश स्पर्श के पुदगल द्रव्यतः बहुत है।
इसी प्रकार प्रदेश की अपेक्षा सब जगह पृच्छा करनी चाहिए ।
जैसा कर्कश स्पर्श वाले पुद्गल के विषय में कहा-वैसा की मृदु, गुरु, लघु स्पर्श के विषय में द्रव्य की अपेक्षा व प्रदेश की अपेक्षा अल्पबहुत्व कहना चाहिए।
शीत, उष्ण, स्निग्ध, रूक्ष पुद्गलों के विषय में जैसा वर्ण की अपेक्षा कहा वैसा कहना चाहिए।
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