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पुद्गल - कोश
असंखेज्जगुणा, तेयासरीर-: र-दव्य वग्गणा-पदेसा अनंतगुणा, भासादव्यवग्गणा पदेसा अनंतगुणा, मण दव्व वग्गणा-पदेसा अनंतगुणा, कम्मइय- सरीरदव्व वग्गणा1-पदेसा अनंतगुणा त्ति ।
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- षट् खण्ड १ । भा १ । सू ५६ । टीका । पु १ । पृ० २९०
औदारिक शरीर द्रव्य सम्बन्धी वगंणाओं के प्रदेश सबसे थोड़े हैं, उससे असंख्यातगुणे वैयिक शरीर द्रव्य सम्बन्धी वर्गणाओं के प्रदेश हैं । उससे असंख्यात - गुणे आहारक शरीर द्रव्य सम्बन्धी वर्गणाओं के प्रदेश हैं । उससे अनन्तगुणे तेजस शरीर द्रव्य सम्बन्धी वर्गणा के प्रदेश हैं । उससे अनत गुणे भाषा द्रव्य वर्गणाओं के प्रदेश है | उससे मनोद्रव्य वर्गणाओं के प्रदेश अनंत गुणे है । उससे अनंतगुणे कार्मण शरीर द्रव्य वर्गणा के प्रदेश हैं ।
• १६ शरीर के पुद्गलों की प्रदेशरूप अल्पबहुत्व
शरीरनाम्नि सर्व स्तोकमौदारकशरोरनाम्नः, ततस्तेजसशरोरनाम्नो विशेषाधिकं ततः कार्मणशरीरनाम्नो विशेषाधिकं ततो वैक्रियशरीरनाम्नोऽसंख्येयगुणं ततोऽप्याहारकशरीर नाम्नोऽसंख्येयगुणम् xxx ।
एवं संङघातनाम्नोऽपि वाच्यम् ।
अङ्गोपाङ्गनाम्नि सर्वस्तोकं जघन्यपदे प्रदेशाप्रमोदारिकाङ्गोपांगनाम्नेः, ततो क्रियाङ्गोपाङ्गनाम्नोऽसंख्येयगुणं, ततोऽप्याहारकाङ्गोपाङ्गनाम्नोऽसंख्येयगुणम् ।
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- कर्मग्र० ० भा५ । गा ८१ । टीका । पृ० ६३ से ६४
• १७ पुद्गल परिवर्तन की अल्पबहुत्व
भव
(क) अदोदकाले एयजीबस्स सव्वत्थोवा भाव परियट्टवारा। परियट्टणवारा अनंतगुणा । कालपरियट्टवारा अनंतगुणा । खेत्तपरियवारा अनंतगुणा । पोग्गलपरियट्टवारा अनंतगुणा ।
- कसायपा• विहत्ती ३ । भा ४ गा २२ । टीका । पृ० १०१
अतीत काल में एक जीव के भाव परिवर्तनवार सबसे थोड़े हुए हैं । इनसे भव परिवर्तनवार अनंतगुणे हुए हैं । इनसे काल परिवर्तनवार अनंतगुणे हुए हैं । इनसे क्षेत्र परिवर्तनवार अनंतगुणे हुए हैं । इनसे पुद्गल परिवर्तनवार अनंतगुणे हुए हैं ।
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