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________________ ( 63 ) धर्मास्तिकाय, अधर्मास्तिकाय, आकाशास्तिकाय, जीव, काल, क्षायिकभाव और औपशमिकभाव - ये आठ पौद्गलिक हैं । औदारिक, वैक्रिय, आहारक, तैजस, ध्वनि ( भाषा ), मन, उच्छ्वास, निःश्वास, कार्मणशरीर, कर्म, छाया, अंधकार, अनंतीवर्गणा, आतप, मिश्रस्कंध, अचित्तमहास्कंध, वेदसमकित और क्षयोपशम समकित और उद्योत - ये अठारह पौद्गलिक हैं । " उपशम श्रेणी में स्थित मुनि यदि काल कर जाय तो अहमिन्द्रदेव होता है । कहा है हिंडति सुअकेवली आहारग, उजुमइ उवसंतगावि उपमाया । भवमणंतं, तयणंतरमेव चउगइया ॥ — प्रकरण रत्नावली पृ० ६९ अर्थात् श्रुतकेवली चौदह पूर्वी, आहारक शरीर की लब्धिवाले, ऋजुमति मनः पर्यवज्ञानी, तथा ग्यारहवें गुणस्थान में उपशांत मोह वाले भी प्रमाद के योग से उस भव में चार गतिवाले होकर अनतभव भ्रमण कर सकते हैं । धर्मनाथ तीर्थंकर ने प्रवचन में गणधर के प्रश्न करने पर कहा कि यह जो मेरे पास चूहा बैठा है यह मोक्ष जायेगा । यह पूर्वभव में साधु था । चूहा - चूही के परस्पर आमोद-प्रमोद करते देखकर निदान किया- चूहे योनि में उत्पन्न हुआ । जातिस्मरण ज्ञान उत्पन्न हुआ । संथारा ग्रहण कर देवलोक में गया फिर मोक्षगामी होगा । अव्यवहार राशि में अनंतपुद्गल परावर्त तक भ्रमण कर भवितव्यता के योग से व्यवहार राशि में आ सकता है । वहाँ भी चिरकाल तक परिभ्रमण किया । प्रज्ञापना पद १८ में कार्यस्थिति का प्रकरण सांव्यावहारिक राशि की अपेक्षा से हैं । संज्ञी मनुष्य विजय आदि चार अनुत्तरविमान में उत्कृष्ट दो बार देवरूप में उत्पन्न हो सकता है परन्तु सर्वार्थसिद्धि में एक ही बार देव बनता है । औदारिक शरीर बादर-स्थूल पुद्गलों से बना हुआ है । औदारिक शरीर से उत्तरोत्तर सूक्ष्म - सूक्ष्म पुद्गलों से रचित दूसरे - दूसरे शरीर हैं । औदारिक शरीरउदार प्रधान है । शरीर की उदारता के विषय में आवश्यक सूत्र में कहा है जिनेश्वर देव के रूप से गणधर का रूप अनंतगुणहीन होता है, गणधर के रूप से आहारक शरीर अनंतगुणहीन, उससे अनंतगुणहीन अनुत्तर विमानवासी देवों प्रकरण रत्नावली, विचार पंचाशिका पृ० ९६-९७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016030
Book TitlePudgal kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1999
Total Pages790
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size12 MB
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