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पुद्गल-कोश तिपएसिए णं पुच्छा। गोयमा ! णो कडजुम्मपएसोगाढे सिय तेयोगपएसोगाढे, सिय दावरजुम्मपएसोगाढे, सिय कलियोगपएसोगा।
चउप्पएसिए णं पुच्छा। गोयमा ! सिय कडजुम्मपएसोगाढ, जाव सिय कलियोगपएसोगाढे। एवं जाव अणंतपएसिए।
-भग० श २५ । उ ४ । सू १८१ से १८४ पृ० ९२५, २६
द्विप्रदेशी स्कंध कृतयुग्म प्रदेशावगाढ़ और त्र्योज प्रदेशावगाढ़ नहीं, कदाचित् द्वापर युग्म प्रदेशावगाढ़ और कदाचित् कल्योज प्रदेशावगाढ़ है।
त्रिप्रदेशी स्कंध कृतयुग्म प्रदेशावगाढ़ नहीं, किन्तु कदाचित् त्र्योज प्रदेशावगाढ़, द्वापर प्रदेशावगाढ़ और कदाचित् कल्योज प्रदेशावगाढ़ है।
चतुष्प्रदेशी स्कंध कदाचित् कृतयुग्म प्रदेशावगाढ़ यावत् कदाचित् कल्योज प्रदेशावगाढ़ है।
इसी प्रकार पंचप्रदेशी यावत् अनंत प्रदेशी स्कंध के विषय में जानना चाहिए। स्कध पुद्गल और युग्म प्रदेश की अपेक्षा स्कंध पुद्गल की संख्या
दुपएसिए पुच्छा ( पएसट्टयाए )। गोयमा! नो कडजुम्मे, नो तेओए, दावरजुम्मे, नो कलिओगे।
तिपएसिए-पुच्छा। गोयमा ! नो कडजुम्मे, तेओए, नो दावरजुम्मे, नो कलिओए। ___चउप्पएसिए-पुच्छा। गोयमा ! कडजुम्मे, नो तेओए, नो दावरजुम्मे, नो कलिओए। पंचपएसिए जहा परमाणुपोग्गले। छप्पएसिए जहा दुप्पएसिए । सत्तपएसिए जहा तिपएसिए । अट्ठपएसिए जहा चउपएसिए । नव पएसिए जहा परमाणुपोग्गले । दसपएसिए जहा दुप्पएसिए [ सू १७३ ] __ संखेज्जपएसिए णं भंते ! पोग्गले-पुच्छा। गोयमा ! सिय काजुम्मे, जाव-सिय कलिओए।
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