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दस प्रदेश यावत् संख्यात प्रदेश यावत् आकाश के असंख्यात प्रदेश को अवगाहित करने वाले स्कंध पुद्गल अनंत है ।
पुद्गल -
• ६९१ स्कंध पुद्गल और युग्म संख्या
द्रव्य की अपेक्षा स्कंध पुद्गल की संख्या
एक वचन की अपेक्षा, बहुवचन की अपेक्षा
परमाणुपोग्गले णं भंते ! दव्वट्टयाए कि कडजुम्मे, तेओए, दावरजुम्मे, कलिओगे ? गोयमा ! नो कडजुम्मे, नो तेओए, नो दावरजुम्मे, कलिओगे । एवं जाव अनंतपएसिए बंधे ।
- भग० श २५ । उ ४ । सू १६८ पृ० ९२४
एक वचन की अपेक्षा - परमाणु पुद्गल द्रव्यार्थ से कृतयुग्म, त्र्योज और द्वापरयुग्म नहीं है, कल्योज है । इसी प्रकार द्विप्रदेशी स्कंध यावत् अनंत प्रदेशी स्कंध द्रव्यार्थ कृतयुग्म, त्र्योज और द्वापर युग्म नहीं है, कल्योज है ।
परमाणुपोग्गला णं भंते ! दव्वट्टयाए कि कडजुम्मा पुच्छा । गोयमा ! ओपादेसेणं सिय कडजुम्मा जाव सिय कलिओगा ; विहाणादेसेणं नो कडजुम्मा, नो तेओगा, नो दावरजुम्मा, कलिओगा । एव जाव अगंत
एसिया बंधा।
- भग० श २५ । उ ४ । सू १६९ । पृ० ९२४
परमाणु पुद्गल बहुत परमाणु पुद्गल द्रव्यार्थ की अपेक्षा - ओघादेश से कदाचित् कृतयुग्म यावत् कल्योज है । विधानादेश से कृतयुग्म त्र्योज और द्वापर युग्म नहीं है, किन्तु कल्योज है । इसी प्रकार द्विप्रदेशी स्कंध यावत् अनंत प्रदेशी स्कंधों के विषय में जानना चाहिए ।
नोट- परमाणु पुद्गल अनन्त होने पर भी उनमें संघात और भेद के कारण अनवस्थित रूप होने से वे ओघादेश से कृतयुग्मा होते हैं । विधानादेश से अर्थात् प्रत्येक की अपेक्षा तो वे कल्यीज ही होते हैं । इसी प्रकार द्विप्रदेशी स्कंध आदि के विषय में भी कृतयुग्मादि संख्या से स्वयंमेव घटित कर लेना चाहिए ।
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युग्म की अपेक्षा पुद्गल स्कंध
दुप्पएसिया णं पुच्छा । गोयमा ! ओघादेसेणं कडजुम्मपएसोगाढा, नो तेयोगपएसोगाढा, नो दावरजुम्मपएसोगाढा, नो कलिओगपएसोगाढा ।
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