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पुद्गल-कोश पुद्गलों का ज्ञान पंचेदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा,
गोयमा! अत्थेगइया जाणंति पासंति आहारति १ अत्थेगइया जाणंति नपासंति आहारेंति २ अत्थेगइया ण जागंति पासंति आहारेंति ३ अत्थेगइया ण जाणंति ण पासंति आहारेंति ४ एवं मणूस्साण वि।
-पण्ण • पद ३४ । सू २०४३.४४ कतिपय पंचेन्द्रिय तिर्यंच (आहार्यमाण पुद्गलों को ) जानते हैं, देखते हैं और आहार करते हैं १ कतिपय जानते हैं, देखते नहीं हैं और आहार करते हैं २ कतिपय जानते नहीं हैं, देखते हैं और आहार करते हैं ३ कतिपय पंचेन्द्रिय तिर्यच न जानते हैं और नहीं देखते हैं किन्तु आहार करते हैं।
इसी प्रकार मनुष्यों के विषय में जानना चाहिए । पुद्गलों का ज्ञान वाणमंतर-जोतिसिया जहा रइया।
-पण्ण० पद ३४ । सू २०४५ वाणव्यन्तरों और ज्योतिष्कों का कथन नरयिकों के समान समझना चाहिए। पुद्गलों का ज्ञान
वेमाणियाणं पुच्छा।
गोमया! अत्थेगइया जाणंति पासंति आहारति ? अत्थेगइया ण जाणंति ण पासंति आहारति ।
से केण? णं भंते ! एवं वुच्चति अत्थेगइया जाणंति पासंति आहारेति अत्थेगइया ण जाणति ण पासंति आहारति ?
गोयमा! वेमाणिया दुविहा पण्णत्ता, तंजहा-माईमिच्छद्दिहिउववण्णगा य अमाईसम्मद्दिट्ठिउववण्णगा, एवं जहा इदियउद्देसए पढमे भणितं जहा भाणियन्वं जाव से तेणटुण गोयमा! एवं बच्चति ।
-पण्ण० पद ३४ । सू २०४६
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