________________
पुद्गल-कोश
४९९ .३ भेरपरमाणुवग्गणम्मि ण अवरुक्कस्सं च सेसगे अस्थि ।
- गोजी• गा ५९५ पूर्वाध
परमाणु-अणुवर्गणा में जघन्य तथा उत्कृष्ट भेद नहीं है ।
एगा परमाणुपोग्गलाणं वग्गणा। एवं जाव एगा अणंतपएसियाणं खंधाणं पोग्गलाणं वग्गणा।
-ठाण. स्था १। सू ५१ । पृ० १८५
परमाणु पुद्गलों की एक वर्गणा है । •४ परमाणु पुद्गल द्रव्य वर्गणा का उद्भव
वग्गणणिरूवणिवाए इमा एयपदेसियपरमाणुपोग्गलदव्यवग्गणा णाम कि भेदेण कि संघादेण कि भेदसंघादेण x x x। उवरिल्लीणं दव्वाणं भेदेण।
-षट्० खण्ड ५, ६, ४ । सू ९८-९९ । पु १४ टीका-दुपदेसियादिउपरिमवग्गणाण भेदेणव एयपदेसिया वग्गणा होदि, सुहुमस्स थूलभेदादो चेव उप्पत्तिदंसणादो। संघादेण भेदसंघादेण वा एयपदेसियपरमाणुपोग्गलवव्ववग्गणा ण होदि।
द्विप्रदेशी आदि उपरिम वर्गणाओं के भेद से ही एक प्रदेशी परमाणु पुदगल द्रव्य वर्गणा होती है क्योंकि सूक्ष्म की स्थूल के भेद से ही उत्पत्ति देखी जाती है। संघात से और भेद-संघात से एक प्रदेशो परमाणु पुद्गल द्रव्य वर्गणा नहीं होती है क्योंकि इससे नीचे अन्य वर्गणाओं का अभाव है। .५ वर्गणाओं का वर्ण-गंध-रस-स्पर्श
औदारिक- प्रभृतमएताश्चाहारकावधिः। अष्टस्पर्शाः पंचवर्णरस - गंधद्वयान्विता ॥४१॥ एकवर्णरसगंधः स्याद् द्विस्पर्शश्च यद्यपि। परमाणुस्तथाप्येते
समुदायध्यपेक्षया ॥४२॥
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org