________________
पुद्गल-कोश
४८५
अथवा जाणक शरीरभविशरीरव्यक्तिरिक्त द्रव्य स्कंध तीन प्रकार का कहा है, यथा - कसिण स्कंध, अकसिण स्कंध और अनेक द्रव्य स्कंध | अकसिण स्कंध - द्विप्रदेशी स्कंध यावत् संख्यात प्रदेशी, असंख्यात प्रदेशी स्कंध व अनंत प्रदेशी स्कंध |
अनेक द्रव्य स्कंध - देश से अवचित तथा देश से उपचित हैं ।
८ छः भेव
अतिस्थूलस्थूलाः स्थूलाः, स्थूलसूक्ष्माश्च, सूक्ष्मस्थूलाश्च । सूक्ष्मा अति सूक्ष्मा इति धरादयो भवति षड्भेदा ॥
- नियमसार गा २१
पुद्गल तत्त्व को समझाने के लिए नाना अपेक्षाओं से नाना भेद-प्रभेदों में बांटा है । ये भेद-प्रभेद अत्यन्त वैज्ञानिक विधि से किये गये हैं- अस्तु छः भेद - सूक्ष्मता और स्थूलता को लेकर पुद्गल स्कंध छः प्रकार का है
(१) अतिस्थूल, (२) स्थूल, (३) स्थूल सूक्ष्म, (४) सूक्ष्म - स्थूल, (५) सूक्ष्म व (६) अति सूक्ष्म ।
भूपर्वताद्या भणिता अतिस्थूलस्थूला इति स्कन्धा । स्थूला अपि विज्ञेयाः सर्पिर्जलतेलाद्याः ॥२२॥ छाया तपाद्याः स्थूलेतर स्कन्धा इति विजानीहि । सूक्ष्मस्थूला इति भणिताः, स्कन्धा श्चतुरक्षविषयाश्च ॥२३॥
सूक्ष्मा भवन्ति स्कन्धाः प्रायोग्यकर्म वर्गणाश्च पुनः । तद्विपरीत स्कन्धा अतिसूक्ष्मा इति प्ररूपयन्ति ॥ २४ ॥
(१) जिस पुनल स्कंध का छेदन-भेदन तथा अन्यत्र वहन सामान्य रूप से हो सके वह पुद्गल अति स्थूल ( Solid ) कहलाता है । जैसे - भूमि, पत्थर, पर्वत आदि ।
Jain Education International
(२) जिस पुद्गल स्कंध का छेदन - भेदन न हो सके किन्तु वह पुद्गल स्कंध ( Liquids ) को स्थूल कहते हैं । आदि ।
- नियमसार
For Private & Personal Use Only
अन्यत्र बहन हो सके जैसे - घृत, जल,
तेल
www.jainelibrary.org