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पुद्गल-कोश
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जिस प्रकार कृष्णवर्ण पर्याय रूप से जघन्य अवगाहना वाले द्विप्रदेशी स्कंध जघन्य अवगाहना वाले द्विप्रदेशी स्कंध से छःस्थान न्यूनाधिक है अथवा तुल्य है वैसे ही शेष वर्ण-नील-रक्त-पीत-शुक्ल वर्ण पर्याय रूप से, सुगंध-दुर्गध पर्याय रूप से, तिक्त-कटु-कषाय-आम्ल-मधुर रस पर्याय रूप से, शीत-उष्ण-स्निग्ध-रूक्ष पर्याय रूप से छःस्थान न्यूनाधिक है अथवा तुल्य है ।
अतः जघन्य अवगाहना वाले द्विप्रदेशी स्कंध में अनंत पर्याय होते हैं ।
जिस प्रकार जघन्य अवगाहनावाले द्विप्रदेशी स्कंध जघन्य अवगाहनावाले द्विप्रदेशी स्कंध जघन्य अवगाहनावाले द्विप्रदेशी स्कंध से द्रव्य रूप से तुल्य है, प्रदेश रूप से तुल्य है, अवगाहना रूप से तुल्य है, स्थिति रूप से चतु:स्थान न्यूनाधिक है अथवा तुल्य है ; वर्णपर्याय रूप से, ( कृष्ण-नील-रक्त-पीत-शुक्लवर्ण पर्याय रूप से ) गंध पर्याय रूप से, (सुगन्ध-दुर्गन्ध पर्याय रूप से ) रस पर्याय रूप से ( तिक्त-कटुकषाय-आम्ल मधुर रस पर्याय रूप से ) तथा शीत-उष्ण-स्निग्ध रूक्ष स्पर्श पर्याय रूप से छःस्थान न्यूनाधिक है अथवा तुल्य है वैसे ही उत्कृष्ट अवगाहना वाले द्विप्रदेशी स्कंध उत्कृष्ट अवगाहनावाले द्विप्रदेशी स्कंध से द्रव्य रूप से तुल्य है, प्रदेश रूप से भी तुल्य है, अवगाहना रूप से भी तुल्य है, स्थिति रूप से चतुःस्थान न्यूनाधिक है अथवा तुल्य है ; वर्णपर्याय रूप से, गध पर्याय रूप से, रस पर्याय रूप से तथा शीत-उष्ण-स्निग्ध-रूक्ष स्पर्श पर्याय रूप से छःस्थान न्यूनाधिक है अथवा तुल्य है।
चूँकि द्विप्रदेशी स्कंध की अवगाहना-जघन्य एक प्रदेश क्षेत्र होती है तथा उत्कृष्ट दो प्रदेश क्षेत्र होती है अतः द्विप्रदेशी स्कंध की-अजघन्य अनुत्कृष्ट अवगाहना नहीं होती है।
जघन्य अवगाहना वाले तीन प्रदेशी स्कंधों में अनंत पर्याय होते हैं।
जघन्य अवगाहना वाले तीन प्रदेशी स्कंध जघन्य अवगाहना वाले तीन प्रदेशी स्कंध से द्रव्य रूप से तुल्य है, प्रदेश रूप से भी तुल्य हैं तथा अवगाहना रूप से भी तुल्य है, स्थिति रूप से चतुःस्थान न्यूनाधिक है अथवा तुल्य है। कृष्णनील-रक्त-पीत-शुक्लवर्ण पर्याय से, सुगन्ध-दुर्गन्ध पर्याय रूप से, तिक्त-कटु-कषायआम्ल-मधुर रस पर्याय रूप से तथा शीत-उष्ण-स्निग्ध-रूक्ष स्पर्श पर्याय रूप से छःस्थान न्यूनाधिक है अथवा तुल्य है।
उत्कृष्ट अवगाहनवाले तीन प्रदेशी स्कंधों में अनंत पर्याय होते हैं ।
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