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पुद्गल-कोश
४३९ संख्यात भाग अधिक है अथवा संख्यात गुण अधिक है अथवा असंख्यात गुण अधिक है अथवा अनंत गुण अधिक है । ( छःस्थान अधिक ) ।
जिस प्रकार तिक्त रस पर्याय रूप से द्विप्रदेशी स्कंध पुद्गल द्विप्रदेशी स्कंध पुद्गल से छःस्थान न्यूनाधिक है अथवा तुल्य है वैसे ही कटु-कषाय- आम्ल-मधुर रस पर्याय रूप से द्विप्रदेशी स्कंध पुद्गल द्विप्रदेशी स्कंध पुद्गल से छःस्थान न्यूनाधिक है अथवा तुल्य है ।
द्विप्रदेशी स्कंध द्विप्रदेशी स्कंध से शीत स्पर्श पर्याय से कदाचित न्यून है, कदाचित् तुल्य है, कदाचित् अधिक है । यदि न्यून है तो अनंत भाग न्यून है अथवा असंख्यात भाग न्यून है अथवा संख्यात भाग न्यून है अथवा संख्यात गुण न्यून है अथवा असंख्यात गुण न्यून है अथवा अनंत गुण न्यून है ( छः स्थान न्यून ) । यदि अधिक है तो अनंत भाग अधिक है अथवा असंख्यात भाग अधिक है अथवा संख्यात भाग अधिक है अथवा संख्यात गुण अधिक है अथवा असंख्यात गुण अधिक है अथवा अनंत गुण अधिक है । ( छःस्थान अधिक ) ।
जिस प्रकार शीत स्पर्श पर्याय रूप से द्विप्रदेशी स्कंध द्विप्रदेशी स्कंध से छः स्थान न्यूनाधिक है अथवा तुल्य है वैसे ही उष्ण -स्निग्ध- रूक्ष पर्याय रूप से छः स्थान म्यूनाधिक है अथवा तुल्य है । अतः द्विप्रदेशी स्कंध में अनंत पर्याय होते हैं ।
तीन प्रदेशी स्कंधों में अनंत पर्याय होते हैं ।
तीन प्रदेशी स्कंध तीन प्रदेशी स्कंध से द्रव्य रूप से तुल्य है तथा प्रदेश रूप से भीतुल्य है ।
तीन प्रदेश स्कंध तीन प्रदेशी स्कंध से अवगाहन रूप से कदाचित् न्यून है, कदाचित् तुल्य है, कदाचित अधिक है । यदि न्यून है तो एक प्रदेश न्यून है अथवा दो प्रदेश न्यून है | यदि अधिक है तो एक प्रदेश अधिक है अथवा दो प्रदेश अधिक है ।
तीन प्रदेशी स्कंध तीन प्रदेशी स्कंध से स्थिति रूप से चतुःस्थान न्यूनाधिक है अथवा तुल्य है ।
तीन प्रदेशी स्कंध तीन प्रदेशी स्कंध से कृष्णवर्णपर्याय रूप से छःस्थान न्यूनाधिक है अथवा तुल्य है |
इसी प्रकार तीन प्रदेशी स्कंध तीन प्रदेशी स्कंध से नीलवर्णपर्यांय रूप से, रक्तवर्णपर्याय रूप से, पीतवर्णपर्याय रूप से, शुक्लवर्णपर्याय रूप से, सुगन्धपर्याय रूप से, दुर्गन्धपर्याय रूप से, तिक्तरसपर्याय रूप से, कटुरसपर्याय रूप से, कषायरसपर्याय रूप
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