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पुद्गल-कोश
४११ •३ द्रव्य का परिणाम
परिणामोऽवस्थान्तरगमनं न च सर्वथा हयवस्थानम् । न च सर्वथा विनाशः परिणामस्तद्विदाभिष्टः।
-स्याद्वाद मंजरी
कोई द्रव्य न तो सर्वथा नित्य है, न सर्वथा विनाशी है अतः प्रत्येक द्रव्य का परिणाम स्वीकार करना इष्ट है। द्रव्यस्य स्वजात्यपरित्यागेन प्रयोग विस्त्रसालक्षणो विकारः परिणामः ।
-तत्त्वराज. ५, २२, १.
द्रव्य की निज की जाति या निज के स्वभाव को छोड़े विना प्रयोग या विस्रास से उद्भावित विकार को परिणाम कहते हैं।
.४ परिणाम का लक्षण
परिणामो हरर्थान्तरगमनं न च सर्वथा व्यवस्थान। न तु सर्वथा विनाशः परिणामस्तद्विवामिष्टः॥
-पण्ण • पद १३ । टीका-मलय.
अर्थात् द्रव्य की अवस्थान्तर प्राप्ति को परिणाम कहते हैं। द्रव्य का सर्वथा एक रूप से रहना या विनाश हो जाना यह 'परिणाम' शब्द का अर्थ नहीं है।
.१ स्कन्धः सकलः समस्तः ।
-प्राकृत भाषा गा ८१
•२ तदेकीभावः स्कन्धः।
-सिदी० प्र १ । सू १८ .३ तेषां द्वयानन्त परिमितानां परमाणूनामेकत्वेनावस्थानं स्कन्धः ।
-जैसिदी• प्र १ । सू १८ पुद्गल द्रव्यों की एक इकाई स्कंध है। दो से लेकर यावत् अनंत परमाणुओं का एकीभाव स्कंध है।
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