________________
३३४
पुद्गल-कोश की अपेक्षा अनात्मा है तथा अपनी पर्यायों तथा पर द्रव्य पर्यायों की विवक्षा से अवक्तव्य है।
•३५ परमाणु पुद्गल और संख्या 1 द्रव्य अपेक्षा (क) द्रव्य की अपेक्षा—गणनसंख्या
(मूल पाठ के लिए देखो क्रमांक १५ )
द्रव्य की अपेक्षा परमाणु पुद्गल की संख्या संख्यात नहीं है, असंख्यात नहीं है, अनंत है।
(ख) द्रव्य की अपेक्षा युग्म संख्या
परमाणुपोग्गलेणं भंते ! दन्वट्ठयाए कि कडजुम्मे, तेयोए, दावरजुम्मे, कलियोगे ? गोयमा ! नो कडजुम्मे, नो तेयोए, नो वावरजुम्मे, कलियोगे। एवं जाव अणंतपएसिए खंध ।
परमाणुपोग्गलाणं भंते ! दव्वट्टयाए कि कडजुम्मा-पुच्छा। गोयमा ! ओघादेसेणं सिय कडजुम्मा, जाव सिय कलियोगा, विहाणादेसेणं नो कडजुम्मा, नो तेयोगा, नो दावरजुम्मा, कलियोगा। एवं जाव अणंतपएसिया खंधा।
-भग० श २५ । उ ४ । सू ५९-६० । पृ० ८६६-६७ टीका परमाणुपुद्गला ओघादेशतः कृतयुग्मादयो भजनया भवन्ति, अनन्तत्वेऽपि तेषां संघातभेदतोऽनवस्थितस्वरूपतया द्विधानतस्तु एकैकशः कल्योजा एवेति।
एक परमाणु पुद्गल द्रव्य रूप से कृतयुग्म नहीं है, योज रूप नहीं है, द्वापरयुग्म नहीं है परन्तु कल्योज रूप है।
टीकाकार ने कहा है परमाणु पुद्गल की संख्या अनंत होने पर भी उनमें संघात-भेद होने के कारण अनवस्थिति होती है अतः परमाणु पुद्गलों का सामान्य रूप से कथन करने से द्रव्य रूप से कदाचित् कृतयुग्म, कदाचित् व्योज रूप, कदाचित
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org