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पुद्गल-कोश है। स्वतन्त्र परमाणु अप्रदेशी कहलाता है लेकिन किसी स्कंध में जड़ित परमाणु 'प्रदेश' वा द्रव्य देश कहलाता है।
(ग) x x x। परमाणूणं परमाणुभावेण सव्वकालमवढाणाभावादी दव्वभावो | जुज्जदे ? ण पोग्गलभावेण उप्पादविणासवज्जिएण परमाणूणं पि दव्वत्तसिद्धीदो।
-- घट० ख० ५, ६ । गा ७६ । टीका । पु १४ । पृ० ५५
यद्यपि परमाणु सदाकाल परमाणु रूप से अवस्थित नहीं रहते हैं तथापि परमाणुओं का पुद्गल रूप से उत्पाद और विनाश नहीं होता है अत: परमाणुओं में द्रव्यत्व सिद्ध होता है।
३१.२ शाश्वत-अशाश्वत
परमाणु पुद्गल और शाश्वतता और अशाश्वतता।
परमाणु पुद्गल (नित्यता-अनित्यता ) शाश्वत् भी है-अशाश्वत भी है।
परमाणुपोग्गले णं भंते ! कि सासए, असासए ? गोयमा ! सिय सासए, सिय असासए। से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ 'सिय सासए, सिय असासए ? गोयमा ! दव्वट्ठयाए सासए, वन्नपज्जवेहि, जाव फासपज्जवेहि असासए, से तेण?णं जाव—सिय सासए, सिय असासए।
-भग० श १४ । उ ४ । सू ५ । पृ० ६९९
परमाणु पुद्गल कथंचिद् शाश्वत-नित्य है और कथंचिद अशाश्वत-अनित्य है। द्रव्यार्थ की अपेक्षा नित्य है क्योंकि परमाणु पुद्गल का स्कंध के साथ अन्तर्भाव हो जाने पर भी उसका परमाणुत्व नष्ट नहीं होता है। वर्णपर्याय यावत् स्पर्शपर्यायों की अपेक्षा अनित्य है क्योंकि परमाणु पुद्गल की पर्यायों का परिणमन होता रहता है।
टीकाकार ने शाश्वत का अर्थ नित्य और भशाश्वत का अर्थ अनित्य किया है।
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