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________________ २४. पुद्गल-कोश परमाणु अद्धं आदि विकल्प द्वारा स्पर्श नहीं कर सकते। घटादि पदार्थों के अभाव की आपत्ति तो तब आ सकती है जबकि दो परमाणुओं की एकता हो जाती हो, परन्तु ऐसी बात नहीं है। दोनों परमाणु अपने-अपने स्वरूप में भिन्न ही रहते हैं, दोनों की एकता ( स्वरूप-मिश्रण) नहीं होती। अतः घटादि पदार्थों के अभाव रूप पूर्वोक्त आपत्ति नहीं आ सकती। जब परमाणु, द्विप्रदेशी स्कंध को स्पर्श करता है, तब 'सर्व से देश ; रूग सातवां विकल्प और 'सर्व से सर्व' रूप नववां विकल्प-ये दो विकल्प पाये जाते हैं। जब द्विप्रदेशी स्कंध, आकाश के दो प्रदेशों पर स्थित होता है, तब परमाणुपुद्गल उस स्कंध के देश को अपने समस्त आत्मा द्वारा स्पर्श करता है। क्योंकि परमाणु का विषय उस स्कंध के देश को स्पर्श करने का ही है। अर्थात् आकाश के दो प्रदेशों पर स्थित द्विप्रदेशी स्कंध देश को ही परमाणु स्पर्श कर सकता है । जब द्विप्रदेशी स्कंध, परिणाम की सूक्ष्मता से आकाश के एक प्रदेश पर स्थित होता है, तब परमाणु सर्वात्म द्वारा उस स्कंध के सर्वात्म को स्पर्श करता है । जब परमाणुपुद्गल त्रिप्रदेशी स्कंध को स्पर्श करता है तब अन्तिम के तीन विकल्प ( सातवां, आठवां और नववा) पाये जाते हैं। जब तीन प्रदेशी स्कंध आकाश के तीन प्रदेशों पर रहा हुआ होता है तब परमाणु अपने सर्वात्म द्वारा उसके एक देश को स्पर्श करता है। क्योंकि तीन आकाश प्रदेशों पर रहे हुए तीन प्रदेशी स्कंध के एक प्रदेश को स्पर्श करने का ही परमाणु में सामर्थ्य है। (सातवां विकल्प)। जब तीन प्रदेशी स्कंध के दो प्रदेश एक आकाश पर रहे हुए हों और तीसरा एक प्रदेश अन्यत्र ( दूसरे आकाश प्रदेश पर ) रहा हुआ हों, तब एक आकाश प्रदेश पर रहे हुए दो परमाणुओं को स्पर्श करने का सामर्थ्य, एक परमाणु के होने से 'सर्व से बहुत देशों को स्पर्श करता है। (आठवां विकल्प )। प्रश्न हो सकता है कि 'सर्व से बहुत देशों ( दो देशों) को स्पर्श करता है- यह आठवां विकल्प जैसे तीन प्रदेशौ स्कंध में घटाया गया है उसी तरह द्विप्रदेशी स्कंध में भी घटाना चाहिए। क्योंकि वहां पर भी उस द्विप्रदेशी स्कंध के दो प्रदेशों को वह परमाणु सर्वात्म द्वारा स्पर्श करता है। इसलिए यह विकल्प द्विप्रदेशी स्कंध में क्यों नहीं बतलाया गया है। इसका समाधान इस प्रकार है-जिस प्रकार यह विकल्प तीन प्रदेशी स्कंध में घटाया गया है, उस प्रकार द्विप्रदेशी स्कंध में घटित नहीं हो सकता है क्योंकि द्विप्रदेशी स्कंध स्वयं अवयवी है, वह किसी का अवयव नहीं है, तब वह कैसे कहा जा सकता है कि 'सर्व से ही देशों को स्पर्श करता है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016030
Book TitlePudgal kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1999
Total Pages790
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size12 MB
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